आज के आर्टिकल में हम क़ुतुब मीनार (Qutub Minar) के बारे में पढ़ेंगे। इसके अन्तर्गत हम क़ुतुब मीनार कहाँ पर है (Kutub Minar Kahan Hai), क़ुतुब मीनार की लम्बाई (Qutub Minar ki Lambai), क़ुतुब मीनार किसने बनवाया (Kutub Minar Kisne Banvaya), क़ुतुब मीनार का रहस्य (Qutub Minar Ka Rahasya) के बारे में जानेंगे।

क़ुतुब मीनार (Qutub Minar) की जानकारी |
लम्बाई/ऊँचाई – 72.5 मीटर (237 फीट) |
आधार व्यास – 14.32 मीटर |
टाॅप पर केवल – 2.75 मीटर |
कुल सीढ़ियाँ – 379 |
क़ुतुब मीनार का आधार – 17 फीट |
शीर्ष – 9 फीट |
स्थित – नई दिल्ली के महरौली क्षेत्र |
मंजिलें – 5 मंजिलें |
क़ुतुब मीनार कहाँ है – Kutub Minar Kahan Hai
- क़ुतुब मीनार (Kutub Minar) भारत की राजधानी दिल्ली के दक्षिण में महरौली भाग में स्थित है। जहाँ पर यह स्थित है उसे ’कुतुब काॅम्पलेक्स’ कहते है।
- क़ुतुब मीनार (Qutub Minar) दिल्ली के महरौली क्षेत्र में ’कुतुब काॅम्पलेक्स’ में क़ुतुब मीनार स्थित है।
- कुतुब काॅम्पलेक्स को यूनेस्को ने ’विश्व धरोहर’ घोषित किया है।
- कुतुब काॅम्पलेक्स को यूनेस्को ने ’वर्ल्ड हेरिटेज साइट’ का दर्जा दिया है।
भारत की सबसे ऊँची मीनार कौन सी है – Bharat Ki Sabse Unchi Minar Konsi Hai
- क़ुतुब मीनार (Kutub Minar) ईंटों से बनी, भारत की सबसे ऊँची मीनार है।
- दिल्ली को भारत का दिल कहा जाता है, यहाँ पर कई प्राचीन इमारतें और धरोहर स्थित है। इन पुरानी और खास इमारतों में से एक इमारते दिल्ली में स्थित है जिसका नाम है क़ुतुब मीनार जो भारत और विश्व की सबसे ऊँची मीनार है।
- क़ुतुब मीनार भारत की सबसे खास और प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है।
- क़ुतुब मीनार को यूनेस्को द्वारा भारत के सबसे पुराने वैश्विक धरोहरों की सूची में भी शामिल किया गया है।
- क़ुतुब मीनार (Qutub Minar) दुनिया से सबसे ऊँची इमारत होने के साथ ही ईंटों से बनी दुनिया की सबसे ऊँची इमारत भी है।
क़ुतुब मीनार की लम्बाई – Qutub Minar ki Lambai
- क़ुतुब मीनार की ऊँचाई 72.5 मीटर (237 फीट) है तथा इसके आधार का व्यास 14.32 मीटर है, जो शिखर पर जाकर मात्र 2.75 मीटर रह जाता है।
- क़ुतुब मीनार का आधार 17 फीट है और इसका शीर्ष 9 फीट है।
- यह इमारत हिंदू-मुगल इतिहास का एक बहुत खास हिस्सा है।
- क़ुतुब मीनार लाल और हल्के पीले बलुआ पत्थरों और मार्बल से बनाया गया है।
- कुतुबमीनार 5 मंजिला है।
- इस इमारत में पाँच अलग-अलग मंजिलें है, प्रत्येक को एक प्रोजेक्टिंग बालकनी और आधार पर 15 मीटर व्यास से शीर्ष पर सिर्फ 2.5 मीटर तक चिह्नित किया गया है।
- मीनार के अंदर कुल 379 सीढ़ियाँ है जो कि गोलाई में बनी हुई है।
- आसमान से देखने पर यह सीढ़ियाँ कमल के फूल के समान प्रतीत होती है। ऐसा माना जाता है कि इसका डिजाइन पश्चिमी अफगानिस्तान में जाम की मीनार पर आधारित है।
क़ुतुब मीनार का नाम किसने नाम पर रखा गया – Qutub Minar Ka Naam Kiske Naam Par Rakha Gaya
- क़ुतुब मीनार (Qutub Minar) का नाम दिल्ली सल्तनत के राजा ’कुतुबद्दीन ऐबक’ के नाम पर रखा था।
- कुछ इतिहासकार मानते हैं सूफी संत ’ख्वाजा-कुतुबद्दीन बख्तियार काकी’ के नाम क़ुतुब मीनार का नाम रखा गया था।
क़ुतुब मीनार किसने बनवाया – Kutub Minar Kisne Banvaya
12 वीं शताब्दी में इसका निर्माण 1193 में कुतुबद्दीन ऐबक ने दिल्ली के अंतिम हिंदू राज्य की हार के तुरंत बाद करवाया था। दिल्ली सल्तनत के संस्थापक कुतुबद्दीन ऐबक ने ईस्वी सन् 1200 में कुतुबमीनार का निर्माण करवाना शुरू किया था। कुतुबद्दीन ऐबक ने इसकी एक मंजिल या एक फ्लोर ही बनवाया था। 1210 में कुतुबद्दीन ऐबक की मृत्यु हो गयी।
इसके बाद 1220 में ऐबक उत्तराधिकारी और पोते इल्तुतमिश ने इस मीनार में तीन मंजिल और बनवा दी थी। अब क़ुतुब मीनार चार मंजिला हो गया।
इसके बाद 1368 में सबसे ऊपर वाली मंजिल (चौथी मंजिल) बिजली कङकने की वजह पूरी से टूट कर गिर गई। इसके बाद फिरोज शाह तुगलक ने एक बार फिर से क़ुतुब मीनार का निर्माण करवाना शुरू किया और इसका पुनर्निर्माण करवाने के साथ ही फिरोज शाह तुगलक ने बलुआ पत्थर व मार्बल से दो नई मंजिलें बनावा दी अर्थात् उसने चौथी मंजिल और पाँचवीं मंजिल का निर्माण करवाया।
कुतुबद्दीन ऐबक ने कुतुबमीनार का निर्माण करवाना शुरू किया था और इल्तुतमिश ने इसको पूरा करवाया था और 1369 ई. में फिरोजशाह तुगलक नें मीनार को दुर्घटना के कारण टूट जाने के बाद दुरुस्त करवाया था। क़ुतुब मीनार को बनाने वाले सूफी संत ’बख्तियार काकी’ थे। ऐसा माना जाता है कि इस मीनार का नक्शा तुर्की की भारत में आने से पहले ही बनवाया गया था।
क़ुतुब मीनार को भूकंप से भारी नुकसान – Kutub Minar Ko Bhukamp Se Bhari Nuksan
- 1505 में एक बङा भूकम्प आया जिसकी वजह से क़ुतुब मीनार को भारी नुकसान हुआ था। इस भूकंप में जो भी नुकसान हुआ, तब सिकंदर लोदी ने इसकी मरम्मत करवाई।
- 1 अगस्त 1903 को फिर से एक बङा भूकंप आया और क़ुतुब मीनार को फिर से बङा नुकसान पहुँचा। लेकिन इस नुकसान को साल ब्रिटिश इंडियन आर्मी के मेजर रोबर्ट स्मिथ ने 1928 में इसकी मरम्मत करवाई।
- इसकी मरम्मत करवाने के साथ ही उन्होंने क़ुतुब मीनार के ऊपर एक गुम्बद भी बनवा दिया।
- लेकिन बाद में पाकिस्तान गवर्नल जनरल लार्ड हार्डिंग ने इस गुम्बद को हटवा दिया था और उसे क़ुतुब मीनार के पूर्व में स्थापित करवा दिया।
क़ुतुब मीनार की जानकारी – Qutub Minar Ki Jankari
- क़ुतुब मीनार के बारे में भारत के इतिहास में कुछ भी दस्तावेज नहीं मिलते है।
- इस मीनार को राजपूत मीनार से प्रेरणा लेकर बनवाया गया था।
- इसके इतिहास के बारे में कुछ अंश क़ुतुब मीनार पर लिखी गई पारसी-अरेबिक और नागरी भाषाओं में दिखाई देते हैं।
- क़ुतुब मीनार के इतिहास की जानकारी फिरोज शाह तुगलक और सिकंदर लोदी से मिलती है।
- क़ुतुब मीनार के इतिहास की जानकारी मीनार में अरबी और नागरी लिपि में शिलालेख उनसे मिलती हैं।
क़ुतुब मीनार खगोलशास्त्र का नमूना – Qutub Minar Khagolshastra Ka Namuna
इतिहासकार बताते है कि क़ुतुब मीनार में 24 आकारों से चीज बनी हुई है। आकारों में कोई गोलाकार, कोई वर्गाकार, कोई समानान्तर, कोई समलम्ब आकार के बने हुए है। ये 24 खगोलशास्त्र को दर्शाते है। हिन्दू धर्म में 24 की बहुत मान्यता है।
क़ुतुब मीनार की विशेषता – Kutub Minar Ki Visheshta
क़ुतुब मीनार की इमारत बिल्कुल सीधी नहीं है बल्कि यह थोङी सी झुकी हुई है। इसका कारण है कि इसकी बार-बार मरम्मत की गई थी। क़ुतुब मीनार का असली नाम ’विष्णु स्तंभ’ बताया जाता है, इसके साथ इसके सम्राट चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक कहा गया है। इस पर कुरान की आयतें लिखी गई है। अलाई दरवाजा ’कुतुबमीनार’ का मुख्य द्वार है। क़ुतुब मीनार को सबसे ऊँचे गुम्बद वाली मीनार माना जाता है। क़ुतुब मीनार की छठी मंजिलें को 1848 में नीचे दे दिया गया था लेकिन बाद में इसे कुतुब काॅम्पलेक्स में ही दो अलग-अलग जगहों पर स्थापित किया गया।
आज इसे बने 100 साल से भी ज्यादा का समय हो चुका है। क़ुतुब मीनार में आम लोग 6 मंजिल तक ही जा सकते है। ऐसा माना जाता है कि इस मीनार के निर्माण में जो पत्थर और सामग्री उपयोग की गयी वो 27 हिन्दू-जैन मंदिरों को तोङकर बनवाई गई थी। लेकिन मीनार पर लिखा है कि कुतुबद्दीन ने 27 मंदिर तोङे थे, उसने मीनार बनाई ऐसा नहीं लिखा।
क़ुतुब मीनार की सबसे ऊपरी मंजिल पर किसी को भी नहीं जाने दिया जाता। क़ुतुब मीनार के एक कोने में छठी मीनार है जो आज भी 1848 लाल पत्थरों से बनी हुई है, लेकिन फिर कुछ खराब दिखने की वजह से इसे हटा दिया गया। क़ुतुब मीनार एक ऐसी धरोहर है जिसके अलाई दरवाजा उत्तरी भाग में है। इस मीनार के दरवाजें हमें एक जैसे दिखाई देते है। क़ुतुब मीनार का आस-पास का परिसर ’कुतुब काॅम्पलेक्स’ से घिरा हुआ है।
क़ुतुब मीनार ऐतिहासिक धरोहर से घिरा हुआ है। क़ुतुब मीनार के अन्दर प्रकाश को प्रवेश करने के लिए 27 छिद्र बने हुए है। ये 27 छिद्र नक्षत्रों को दर्शाते है।
ऐतिहासिक रूप से क़ुतुब मीनार क़ुतुब काॅम्पलेक्स से जुङे हुए है –
- इसमें कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा बनाई गई भारत की पहली मस्जिद कुव्वत-उल-इस्लाम
- इल्तुतमिश का मकबरा
- अलाई दरवाजा
- चौथी शताब्दी का चंद्र लौह स्तंभ
- अलाई मीनार
- इमाम जमीन की कब्र।
लौह स्तम्भ – Iron Pillar In Hindi

दिल्ली के कतुब मीनार काॅम्पलेक्स में चौथी शताब्दी में बना लौह स्तम्भ (iron pillar) है।
लौह स्तंभ का निर्माण किसने करवाया – Loh Stambh Kisne Banwaya
इस लौह स्तंभ का निर्माण चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने शक और कुषाण (विदेशी साम्राज्य) को भारत से बाहर खदेङ के बाद करवाया था। इस महान् विजय की स्मृति के तौर पर ही चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने इस स्तंभ को बनवाया था। इसलिए इसे ’विजय स्तंभ’ के नाम से भी जाना जाता है। इस लौह स्तंभ गुप्त वंश के सम्राट ’चन्द्रगुप्त द्वितीय’ (विक्रमादित्य) द्वारा विष्णु ध्वजा के रूप में विष्णुपाद गिरी नामक पहाङी पर निर्मित किया गया था।
जिसको लगभग 1600 साल हो गए है। इस लौह स्तंभ में 98 प्रतिशत लगे लोहे को देखकर यह अन्दाज लगाया जा सकता है कि इसे बनाने वाले कुशल कारीगर रहे होंगे। यह लौह स्तंभ किसी भी मौसम-सर्दी, गर्मी, वर्षा के समय यह खुले आकाश के नीचे खङा रहता है। लेकिन अब तक इसमें जंग नहीं लगी है। लोहे के खम्भे में इतने सालों तक जंग न लगना अपने आप में एक बहुत बङी बात है। यह ’लौह स्तंभ’ 60 मीटर ऊँचा है और इसका वजन 6000 किलो से भी अधिक है। इसका 1 मीटर हिस्सा जमीन के नीचे है। इसके निचले हिस्से का व्यास 17 इंच और शीर्ष पर इसका व्यास 12 इंच है।
इसका कारण जानने के लिए आइईटी कानपुर के प्रोफेसर ने 1998 में एक प्रयोग किया था। प्रोफेसर डाॅ. बाला सुबमण्यम् ने इस स्तम्भ के लोहे की सामग्री की जाँच की। इस जाँच से पता चला है कि इस स्तंभ के लिए जो सामग्री तैयार की गयी थी उसमें कच्चे लोहे के साथ फास्फोरस मिलाया गया था, जिससे इसमें जंग लगने की गति हजारों गुना धीमी हो गई।
जिस पर ’ब्राह्मी भाषा’ में लिखा हुआ है सम्राट चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य द्वारा स्थापित किया गया। इस स्तम्भ लेख पर गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य की वीरता और यश का गुणगान है। इस स्तंभ में सात तल थे जो कि एक सप्ताह को दर्शाते थे, लेकिन अब इस लौह स्तंभ में केवल पाँच तल हैं। इस स्तंभ के छठें तल को गिरा दिया गया था और समीप के मैदान पर फिर से खङा कर दिया गया था।
इस लौह स्तंभ के सातवें तल पर चार मुख वाले ब्रह्मा की मूर्ति है जो कि संसार का निर्माण करने से पहले अपने हाथों में वेदों को लिए थे। इस लौह स्तम्भ के तीन तलों को मुस्लिमों ने नष्ट कर दिया और नीचे की विष्णु की मूर्ति को भी नष्ट कर दिया। दिल्ली के मैहरोली में स्थित इस लौह स्तंभ को गरुङ स्तम्भ भी कहा जाता है।
कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद – Quwwat Ul Islam Mosque

कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद (Quwwat Ul Islam Mosque) क़ुतुब मीनार के उत्तर में स्थित है। 1192 ई. में तराइन के युद्ध में पृथ्वीराज के हारने पर उसके किले रायपिथौरा पर अधिकार कर वहाँ पर कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद का निर्माण कुतुबद्दीन ऐबक ने करवाया था। कुतुबद्दीन ऐबक ने पृथ्वीराज चौहान की हार और अपनी जीत के उपलक्ष्य में तथा इस्लाम धर्म को प्रतिष्ठित करने के उद्देश्य से 1192 ई. ’कुत्व’ अथवा ’कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद’ का निर्माण कराया। 1230 ई. में इल्तुतमिश ने मस्जिद के प्रांगण को दुगुना कराया। अलाउद्दीन खिलजी ने इस मस्जिद का विस्तार करवाया था तथा कुरान की आयतें लिखवाई।
इस मस्जिद में सर्वप्रथम इस्लामी स्थापत्य कला की मजबूती एवं सौंदर्य जैसी विशेषताओं को उभार गया है। यह मस्जिद 121 फुट लंबे तथा 150 फुट चौड़े समकोणनुमा चबतूरे पर स्थित है। इण्डो-इस्लामिक शैली में निर्मित स्थापत्य कला को एक ऐसा उदाहरण है जिसमें स्पष्ट हिन्दू प्रभाव दिखाई देता है। भारतीय उपमहाद्वीप की यह काफी प्राचीन मस्जिद मानी जाती है।
लेकिन कुछ समय बाद इल्तुतमिश और अलाउद्दीन खिलजी ने मस्जिद का विकास किया। यह भारत में निर्मित पहली तुर्क मस्जिद है। इस मस्जिद की सर्वोकृष्ट विशेषता उसका ’मकसूरा’ एवं इसके साथ जुङा ’किबला लिवान’ है। स्थापत्य कला की दृष्टि से यह पहला ऐसा उदाहरण है, जिसमें स्पष्ट हिन्दू प्रभाव परिलक्षित होता है।
इल्तुतमिश का मकबरा – Iltutmish Ka Makbara
इल्तुतमिश की ना दिखाई देने वाली कबर एक रहस्य है जो 1235 ईस्वी में बनी थी। यही इल्तुतमिश की वास्तविक कबर भी है, इस रहस्य को 1914 में खोज गया था।
अलाई मीनार – Alai Minar In Hindi

- अलाई मीनार क़ुतुब मीनार से भी ज्यादा ऊँची, बङी और विशाल मीनार है।
- अलाई मीनार दिल्ली के महरौली क्षेत्र में कुतुब परिसर में स्थित है।
- इसका निर्माण अलाउद्दीन खिलजी ने करवाना शुरू किया, लेकिन 1316 ईस्वी में अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु हो गयी थी।
- इसका कारण अलाई मीनार का निर्माण 24.5 मीटर पर प्रथम मंजिल पर ही रुक गया था। तब से अलाई मीनार का काम रुका हुआ है।
- आज की नई धरोहर लगभग 500 साल पुरानी है।
- यह निर्माण और सजावट के इस्लामी सिद्धांतों के लागू करने वाली पहली इमारत है।
इमाम जमीन की कब्र – Imam Zamin Tomb
- इमाम जमीन की कब्र मुगल शासक हुमायूँ ने 1568 में बनावायी थी।
- क़ुतुब मीनार काॅम्पलेक्स में यह सबसे नयी धरोहर है।
क़ुतुब मीनार को लेकर हिन्दू पक्ष का विचार – Kutub Minar Ko Lekar Hindu Paksh Ka Vichar
हिन्दू पक्ष के अनुसार वराहमिहिर जो सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय के नवरत्नों में से एक था और खगोलशास्त्री भी थे, उन्होंने इस मीनार का निर्माण करवाया था। वराहमिहिर ने मीनार के चारों ओर नक्षत्रों का अध्ययन किया और इसके लिए 27 कलापूर्ण परितथियों का निर्माण करवाया था। इन परितथियों पर हिन्दू देवी-देवीताओं के चित्र बने हुए थे।
इन 27 परितथियों को तोङकर क़ुतुब मीनार पर लिख दिया गया कि कुतुबद्दीन ने 27 मंदिरों को तोङा। हिन्दू पक्ष के लोगों का दावा है कि क़ुतुब मीनार के पास में जो बस्ती है उसे ’महरौली’ कहा जाता है। यह एक संस्कृत शब्द है जिसे ’मिहिर हवेली’ कहा जाता है। इस कस्बे के बारे में ऐसा कहा जाता है कि यहाँ महान् खगोलशास्त्री वराहमिहिर रहा करते थे, जो कि चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के दरबारी थे। वराहमिहिर के साथ उनके सहायक, गणितज्ञ और तकनीकविद भी रहते थे। वे लोग इस कथित क़ुतुब मीनार का खगोलीय गणना, अध्ययन के लिए प्रयोग करते थे।
क़ुतुब मीनार खगोलीय प्रेक्षण टाॅवर था। इसका टाॅवर का लाल रंग हिन्दूओं में पवित्र समझा जाता है।
क़ुतुब मीनार का रहस्य – Qutub Minar Ka Rahasya

क़ुतुब मीनार 900 साल पुरानी है। कुछ लोगों ने यह दावा किया है कि इसके आस-पास किसी के होने का एहसास होता है। रात के समय में पैरानॉर्मल इन्वेस्टीगेशन ने इस जगह पर अनजान शक्तियों के होने का दावा भी किया है। साल 1984 के पहले क़ुतुब मीनार के अंदर की ओर सीढ़ियों से ऊपर जाने दिया जाता था।
लेकिन 4 दिसंबर 1984 को कुछ ऐसा हुआ जिसके कारण इसके दरवाजों को हमेशा के लिए ही बन्द करना पङा। 4 दिसंबर 1984 को इस मीनार के अंदर लगभग 400 लोग मौजूद थे। ये लोग सीढ़ियों के जरिए ऊपर की ओर चढ़ रहे थे इसमें से ज्यादातर स्कूल के बच्चे थे। इसके अन्दर सीढ़ियाँ इतनी छोटी है कि एक समय पर कोई एक व्यक्ति ऊपर या नीचे जा सकता है। इसके अन्दर रोशन का कोई बाहरी स्रोत नहीं था सिर्फ बिजली के बल्ब लगाये गये थे। लेकिन आचनक ही बिजली बंद हो जाती है और पूरा अँधेरा हो गया और लोग अंधेरे में इधर-उधर भागने लगे। सीढ़ियाँ छोटी होने के कारण जल्दी से नीचे नहीं उतरा जा सका इस भगदङ में 45 लोगों की मौत हो गई।
जिसमें ज्यादातर बच्चे थे। तब से क़ुतुब मीनार के अन्दर जाना बंद कर दिया गया। इसके दरवाजें जब भी खोलने का विचार किया गया तब कोई न कोई घटना जरुरी हुई। इसलिए इसे सरकारी तौर पर भी बंद कर दिया गया। कुछ लोग कहते है कि इस मीनार के अंदर जाते है तो ऐसा लगता है कि कोई आपके साथ चल रहा है। वहाँ के प्रशासन का यह कहना है कि इसके अन्दर किसी तरह की कोई सुरक्षा नहीं है। इसलिए इसे बंद रखना ही इसका आखिरी उपाय है।
क़ुतुब मीनार से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण प्रश्न – Qutub Minar Se Sambandhit Question
1. क़ुतुब मीनार कहाँ स्थित है ?
उत्तर – भारत की राजधानी दिल्ली के दक्षिण में महरौली भाग में स्थित है।
2. भारत की सबसे ऊँची मीनार कौन-सी है ?
उत्तर – क़ुतुब मीनार
3. ईंटों से बनी दुनिया की सबसे ऊँची इमारत कौनसी है ?
उत्तर – क़ुतुब मीनार
4. क़ुतुब मीनार की लंबाई/ऊँचाई कितनी है ?
उत्तर – 72.5 मीटर (237 फीट)
5. क़ुतुब मीनार को किनसे बनाया गया है ?
उत्तर – क़ुतुब मीनार को लाल और हल्के पीले बलुआ पत्थरों और मार्बल से बनाया गया है।
6. क़ुतुब मीनार के अंदर कुल कितनी सीढ़ियाँ है ?
उत्तर – 379 सीढ़ियाँ
7. क़ुतुब मीनार में कितने मंजिलें है ?
उत्तर – कुतुबमीनार 5 मंजिला है।
8. क़ुतुब मीनार का निर्माण कार्य किसने व कब शुरू करवाया था ?
उत्तर – दिल्ली सल्तनत के संस्थापक कुतुबद्दीन ऐबक ने ईस्वी सन् 1200 में कुतुबमीनार का निर्माण करवाना शुरू किया था।
9. कुतुबद्दीन ऐबक ने क़ुतुब मीनार की कितनी मंजिल बनावाई थी ?
उत्तर – कुतुबद्दीन ऐबक ने क़ुतुब मीनार की एक मंजिल या एक फ्लोर ही बनवाया था।
10. क़ुतुब मीनार की तीन और मंजिलें किसने बनवाई थी ?
उत्तर – 1220 में ऐबक के उत्तराधिकारी और पोते इल्तुमिश ने इस मीनार में तीन मंजिलें और बनवा दी थी।
11. 1368 में बिजली कङकने से चौथी मंजिल के टूटने पर किसने इसका पुनर्निमार्ण करवाया था ?
उत्तर – फिरोज शाह तुगलक
12. कुतुत मीनार को किस मीनार से प्रेरणा लेकर बनवाया गया था ?
उत्तर – क़ुतुब मीनार को राजपूत मीनार से प्रेरणा लेकर बनवाया गया था।
13. क़ुतुब मीनार के इतिहास की जानकारी किनसे मिलती है ?
उत्तर – क़ुतुब मीनार के इतिहास की जानकारी मीनार में अरबी और नागरी लिपि में शिलालेख उनसे मिलती हैं।
14. क़ुतुब मीनार कितने मंदिरों को तोङकर बनवाई गई थी ?
उत्तर – 27 हिन्दू-जैन मंदिरों को तोङकर बनवाई गई थी।
15. क़ुतुब मीनार का असली नाम क्या है ?
उत्तर – ’विष्णु स्तंभ’
16. लौह स्तंभ किसने व कहाँ बनवाया था ?
उत्तर – लौह स्तंभ को गुप्त वंश के सम्राट ’चन्द्रगुप्त द्वितीय’ (विक्रमादित्य) द्वारा विष्णु ध्वजा के रूप में विष्णुपाद गिरी नामक पहाङी पर निर्मित किया गया था।
17. भारत का ऐसा कौनसा स्तंभ जिसमें अब तक जंग नहीं लगा ?
उत्तर – लौह स्तंभ
18. लौह स्तम्भ को और किस नाम से जाना जाता है ?
उत्तर – विजय स्तम्भ और गरुङ स्तम्भ
19. कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद कहाँ स्थित है ?
उत्तर – कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद क़ुतुब मीनार के उत्तर में (दिल्ली) स्थित है।
20. कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद का निर्माण किसने व कब करवाया था ?
उत्तर – कुतुबद्दीन ऐबक ने 1192 ई. ’कुत्व’ अथवा ’कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद’ का निर्माण करवाया था।
21. भारत में निर्मित पहली तुर्क मस्जिद कौनसी है ?
उत्तर – कुव्वत-उल-मस्जिद
22. अलाई मीनार का निर्माण करवाना किसने शुरू किया था ?
उत्तर – अलाउद्दीन खिलजी ने
23. अलाई मीनार का कितना निर्माण ही हो पाया था ?
उत्तर – अलाई मीनार का निर्माण 24.5 मीटर पर प्रथम मंजिल तक ही हो पाया था
24. कुतुब काॅम्पलेक्स को यूनेस्को ने किसका दर्जा दिया है ?
उत्तर – कुतुब काॅम्पलेक्स को यूनेस्को ने ’वर्ल्ड हेरिटेज साइट’ का दर्जा दिया है।
25. किस तारीख को क़ुतुब मीनार के दरवाजा हमेशा के लिए बंद कर दिया गया था ?
उत्तर – 4 दिसंबर 1984
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