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केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान – Keoladeo National Park in Hindi

Author: Exam GK Study | On:3rd Jan, 2022| Comments: 0

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Table of Contents

  • केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान – Keoladeo National Park in Hindi
    • केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान कहाँ है – Keoladeo National Park Kha Hai
      • भरतपुर पक्षी विहार – Bharatpur Bird Sanctuary
    • केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास – History of Keoladeo National Park
      • घना पक्षी अभयारण्य – Ghana Bird Sanctuary
    • केवलादेव नेशनल पार्क की भौगोलिक दृष्टि
    • केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के पक्षी – Birds of Keoladeo National Park
      • केवलादेव नेशनल पार्क – Kevladev Rashtriya Udyan
    • केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान की प्रजातियाँ – Bharatpur National Park
    • केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान की वनस्पति – Kevladev Rashtriya Udyan
    • केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान से संबंधित प्रश्न – Keoladeo National Park Related Question

आज के आर्टिकल में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (Keoladeo National Park in Hindi) के बारे में पढ़ेंगे। जिसके अन्तर्गत हम केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान कहाँ है (Keoladeo National Park Kha Hai), केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास (History of Keoladeo National Park), केवलादेव नेशनल पार्क के पक्षियों (Bharatpur National Park) के बारे जानेंगे।

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान – Keoladeo National Park in Hindi

keoladeo national park

स्थान भरतपुर (राजस्थान), आगरा (भारत)
स्थापना 10 मार्च 1982
अन्य नाम केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान,  भरतपुर पक्षी विहार, पक्षियों का स्वर्ग
क्षेत्रफल 28.73 Km2
विश्व धरोहर 1985
रामसर साइट अक्टूबर 1981
प्रसिद्धि पक्षियों के लिए
पक्षियों की प्रजातियां 370

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान कहाँ है – Keoladeo National Park Kha Hai

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान राजस्थान के भरतपुर जिले के दक्षिण-पूर्व में 2 किमी में स्थित है तथा भारत के आगरा के पश्चिम में 55 किमी. में स्थित है। केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान लगभग 29 Km2 क्षेत्र में फैला हुआ है। इसका क्षेत्रफल 28.73 Km2 है। केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 10 मार्च 1982 को की गई। पहले इसको ’भरतपुर पक्षी विहार’ (Bharatpur Bird Sanctuary) के नाम से जाना जाता था। भरतपुर पक्षी अभ्यारण्य को 10 मार्च 1982 में ’राष्ट्रीय उद्यान’ घोषित किया गया। केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को 1985 में ’यूनेस्को विश्व प्राकृतिक धरोहर’ (यूनेस्को वर्ल्ड हेरीटेज साइट – UNESCO World Heritage Site) में शामिल किया गया।

भरतपुर पक्षी विहार – Bharatpur Bird Sanctuary

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान भारत के सबसे प्रसिद्ध पक्षी अभ्यारण्य में से एक है। इस अभ्यारण्य में हजारों की संख्या में दुर्लभ और विलुप्त जाति के पक्षी पाये जाते हैं। सर्दियों के मौसम में तो यहाँ अधिक संख्या में प्रवासी पक्षी आते है। सर्दियों के मौसम में हजारों की संख्या में पक्षी प्रवास करने के लिए आते है। जैसे – साईबेरिया से आये सारस। सर्दियों के मौसम में तो इस राष्ट्रीय उद्यान में प्रवासी पक्षियों का जमावङा होता है तथा यह उद्यान लगभग 370 पक्षियों की प्रजातियां का घर है। यह पक्षी अभ्यारण्य शीत ऋतु में तो दुर्लभ जाति के पक्षियों का ’दूसरा घर’ बन जाता है।

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान राजस्थान के भरतपुर जिले का सर्वाधिक प्रसिद्ध एवं आकर्षण पर्यटन है। केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को ’’केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान’’ भी कहा जाता है।

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान बाणगंगा व गंभीरी नदियों के मध्य स्थित है। केवलादेव को अजान बांध द्वारा जल उपलब्ध होता है। यहाँ जल उपलब्ध कराने के लिए केवलादेव में 29 सितम्बर 2012 को गोवर्द्धन ड्रेन योजना के तहत पानी छोङा गया। केवलादेव को ’पक्षियों का स्वर्ग’ के नाम से जाना जाता है। यह साइबेरियन सारस (रुस) के लिए प्रसिद्ध है। केवलादेव घना पक्षी अभ्यारण्य में एशिया की सबसे बङी पक्षी प्रजनन स्थली है। यहाँ राजस्थान की प्रथम वन्यजीव प्रयोगशाला है।

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास – History of Keoladeo National Park

केवलादेव पक्षी अभ्यारण्य का निर्माण भरतपुर के महाराजा सूरजमल ने लगभग 250 वर्ष पूर्व करवाया था। इस उद्यान के मध्य मेें भगवान शिव का मंदिर स्थित है, जिसको केवलादेव के नाम से जाना जाता है, इसी कारण इस उद्यान का नाम भी ’केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान’ रखा गया। बारिश के मौसम में यहाँ बाढ़ आती है, इस बाढ़ के प्रकोप से बचने के लिए महाराजा सूरजमल ने 1726-1763 ई. के मध्य गंभीरी और बाणगंगा नदी के संगम स्थल पर ’अजान बांध’ बनवाया था।

1850 ई. को भरतपुर के राजाओं द्वारा इसका शिकारगाह के रूप इस्तेमाल किया जाने लगा। ब्रिटिश वायसराय के सम्मान में इसी पक्षी अभ्यारण्य में सालाना पक्षियों के शिकार का आयोजन प्रारंभ किया गया। भारत के ब्रिटिश वायसराय लार्ड लिनलिथगो ने 1938 में अपने सहयोगी विक्टर होप के साथ एक दिन में ही 4,273 पक्षियों का शिकार किया था। इस पक्षी विहार को ’राजस्थान वन अधिनियम 1953’ के तहत ’एक आरक्षित वन की श्रेणी’ में सम्मिलित किया गया।

घना पक्षी अभयारण्य – Ghana Bird Sanctuary

अक्टूबर 1981 में वेटलैंड कन्वेंशन के अंतर्गत केवलादेव पक्षी अभ्यारण्य को ’रामसर साइट’ का दर्जा दिया गया। भारत की स्वतंत्रता के बाद 1972 तक तो भरतपुर के राजा ने इस क्षेत्र में शिकार करने की अनुमति दी थी। लेकिन 1982 में संरक्षित वन के अंदर खेती करने तथा पशुओं के चारागाह पर प्रतिबंध लगा दिया गया। बाद में सरकार द्वारा पक्षियों के शिकार पर रोक लगा दी गई थी जिससे इसे 1971 में संरक्षित पक्षी अभ्यारण्य के रूप में घोषित किया गया था। इसका पार्क 1982 ई. में पूर्ण रूप से बनकर तैयार हो गया था। पहले इस अभ्यारण्य का नाम ’भरतपुर राष्ट्रीय उद्यान’ था, जिसका नाम बाद में केवलादेव मंदिर के नाम पर ’केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान’ रखा गया था। केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (Bharatpur Bird Sanctuary in Hindi) में भारत के साथ-साथ विदेशों से भी पक्षी आते है। इसलिए इसको 1985 को ’यूनेस्को विश्व प्राकृतिक धरोहर’ में शामिल किया गया।

केवलादेव नेशनल पार्क की भौगोलिक दृष्टि

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान लगभग 29 Km2 क्षेत्र में फैला हुआ है। केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान राजस्थान के भरतपुर जिले के दक्षिण-पूर्व में 2 किमी में स्थित है तथा भारत के आगरा के पश्चिम में 55 किमी. में स्थित है। केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान भारत का प्रसिद्ध पक्षी अभ्यारण्य है। यह राष्ट्रीय उद्यान प्रसिद्ध पर्यटन स्थल भी है। इस राष्ट्रीय उद्यान के ऊपरी इलाकों में घास के मैदान है, इनमें घास की लंबी प्रजातियाँ है। इस पक्षी अभ्यारण्य का एक तिहाई हिस्सा जलमग्न है। यहाँ पाये जाने जलमग्न पौधों के साथ उगे पेङ, दलदल और टीले यहाँ आने वाले प्रवासी पक्षियों के प्रजनन के लिए उपयुक्त वातावरण का निर्माण करते है। यहाँ मानव आबादी का घनत्व बहुत अधिक है। 15 गाँवों की सीमाएँ केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान से लगती है।

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के पक्षी – Birds of Keoladeo National Park

bharatpur national park

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में अब तक कुल 385 पक्षियोें का रिकाॅर्ड किया गया है। मानसून के मौसम में भारत के प्रत्येक भाग से यहाँ पक्षियों के झुंड आते है। केवलादेव राष्ट्रीय अभ्यारण्य में हजारों की संख्या में दुर्लभ और विलुप्त जाति के पक्षी पाये जाते हैं। इस पक्षी अभ्यारण्य में पूरे साल में हजारों की संख्या में प्रवासी पक्षी प्रजनन के लिए आते है। साथ ही सर्दियों के मौसम में तो यहाँ प्रवासी पक्षी बहुतायत में आते है।

केवलादेव पार्क के पक्षी – पिनटेल बतख, भारतीय स्पॉट बिल बतख, गडवाल बतख, चीनी बतख, सामान्य छोटी बतख, रक्तिम बतख, जंगली बतख, सामान्य बतख, लाल कलगी वाली बतख, ग्रे बगुला, जलकाग भारतीय तालाब बगुला, बैंगनी बगुला, बैंगनी मूरहेन, हरा कबूतर, हंस (शीत प्रवासी पक्षी), वेगंस, स्टेफी ईगल, वाइट ईगल, फिशिंग ईंगल ,पैराग्रीन, शोवेलेर्स, भारतीय कम चितकबरा किंगफिशर, मार्स हैरियर ,स्काप उल्लू चमकदार आइबिस, सफेद स्टार्क, भारतीय कोलार्ड स्कॉप्स उल्लू, गद्वाल्ल्स आदि पक्षी पाए जाते हैं।

केवलादेव पार्क के जलीय पक्षियों में – आम सैंडपाइपर, लकड़ी सैंडपाइपर और ग्रीन सैंडपाइपर, गुच्छेदार बत्तख, सिर पर पट्टी और ग्रे रंग के पैरों वाली बतख, घुंडी-बंधे बत्तख, गैडवाल, सामान्य चैती, कपास की चैती, भारतीय शग, एशियन ओपन-बिल्ड स्टॉर्क, ओरिएंटल इबिस, फावड़ा, डार्टर चित्रित सारस, सफेद चम्मच, छोटे जलकाग, महान जलकाग आदि जलीय पक्षी पाए जाते हैं। ।

केवलादेव नेशनल पार्क – Kevladev Rashtriya Udyan

प्रवासी पक्षियों में  – भारतीय ग्रे हॉर्नबिल, शॉर्ट-टो ईगल, क्रेस्टेड सर्प ईगल बेबीब्लर, रैपर्स में ओस्प्रे, पेरग्रीन फाल्कन, मधुमक्खी खाने वाले, शाही ईगल, वॉर्ब्लर, टैवी ईगल, बुलबुल, बंटिंग, चाट, पेंटेड फ्रेंकोलिन, चित्तीदार ईगल, बटेर, पलास का समुद्री ईगल, मार्शल का आयरा और चित्तीदार बाज शामिल हैं।

पर्यटक पक्षियों में – शाही गिद्ध, मैदानी गिद्ध, पीला भूरा गिद्ध, धब्बेदार गिद्ध, हैरियर गिद्ध और सुस्त गिद्ध देख सकते हैं।

केवलादेव पार्क के जानवर  – काले हिरण, जंगली सुअर, सांभर, गीदड़ ,नील गाय, नेवला, लाल मुह बंदर, जंगली बिल्ली, चीतल आदि  जानवर पाए जाते हैं।।

पर्यटक जानवरों में – नीलगाय, काला हिरन, धब्बेदार हिरण, साम्बर और पायथन देखे जाते हैं।

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान की प्रजातियाँ – Bharatpur National Park

केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान (kevladev ghana pakshi vihar) में 370 पक्षी प्रजातियां, 379 फूलों की प्रजातियां, साँपों की 13 प्रजातियाँ, 7 उभयचर प्रजातियाँ, मछलियों की 50 प्रजातियां, छिपकलियों की 5 प्रजातियां पायी जाती है।

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (ghana pakshi vihar bharatpur) में स्तनधारी जीवों की 27 प्रजातियां पाई जाती है। जैसे – चीतल, नीलगाय, जंगली सुअर, हिरण, भारतीय दलिया अकसर, चूहा, बंगाल लोमङी, जंगली बिल्ली, चमगादङ, लकङबग्घा, रीसस मकाक, गेरबिल, स्मूटा कोटेड, हनुमान लंगूर और गोल्डन जैकल्स आदि।

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान की वनस्पति – Kevladev Rashtriya Udyan

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (kevala devi national park) राजस्थान का घनी वनस्पति वाला वन क्षेत्र है तथा यह अर्द्धशुष्क वनस्पति वाला क्षेत्र है। यहाँ वनस्पति बहुत अधिक समृद्ध है, इसी कारण इस राष्ट्रीय उद्यान को ’घना पक्षी अभ्यारण्य’ के नाम से जाना जाता है। यह क्षेत्र एक उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन है। यहाँ अधिकांशत बबूल, जामुन, कदम्ब जैसे वृक्ष पाये जाते है। यहाँ कदम्ब के वृक्षों की अधिकता है। इस पक्षी अभ्यारण्य की जलीय वनस्पति भी काफी समृद्ध है।

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान से संबंधित प्रश्न – Keoladeo National Park Related Question

1. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान कहाँ है ?

➡️ केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान राजस्थान के भरतपुर जिले के दक्षिण-पूर्व में 2 किमी में स्थित है तथा भारत के आगरा के पश्चिम में 55 किमी. में स्थित है।

2. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना कब हुई ?

➡️ 10 मार्च 1982

3. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल कितना है ?

➡️ 28.73 Km2

4. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को अन्य किस नाम से जाना जाता है ?

➡️ केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान, पक्षियों का स्वर्ग

5. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को कब यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल किया गया ?

➡️ 1985

6. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान किसके लिए प्रसिद्ध है ?

➡️ प्रवासी पक्षियों के प्रजनन के लिए

7. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में किसका मंदिर है ?

➡️ भगवान शिव का मंदिर

8. केवलादेव पक्षी अभ्यारण्य को रामसर साइट में कब सम्मिलित किया गया ?

➡️ अक्टूबर 1981

9. केवलादेव पक्षी अभ्यारण्य में पक्षियों की प्रजातियाँ कितनी है ?

➡️ 370 प्रजातियाँ

10. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में स्तनधारी जीवों की कितनी प्रजातियां पाई जाती है ?

➡️ 27 प्रजातियाँ

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