आज के आर्टिकल में हम गौतम बुद्ध की पूरी जानकारी (Gautam Budh) प्राप्त करेंगे। जिसमें हम गौतम बुद्ध का जन्म कहाँ हुआ था (Gautam Buddh Ka Janm Kahan Hua Tha), गौतम बुद्ध का बचपन (Gautam Budh Ka Bachpan), गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति (Gautam Buddha Ko Gyan Ki Prapti), गौतम बुद्ध के उपदेश (Gautam Buddha Updesh in Hindi), गौतम बुद्ध से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण प्रश्न (Gautam Buddha ke Question) भी पढ़ेंगे।
गौतम बुद्ध की पूरी जानकारी – Gautam Budh
महात्मा बुद्ध का जीवन परिचय – Mahatma Budh Ka Jeevan Parichay |
जन्म – 563 ईसा पूर्व |
जन्मस्थान (Gautam Buddha Ka Janam Sthan) – नेपाल की तराई में स्थित कपिलवस्तु लुम्बिनी ग्राम |
मृत्यु – 483 ईसा पूर्व |
मृत्युस्थान – कुशीनारा (मल्ल गणराज्य) |
जन्म वंश – शाक्य |
बचपन का नाम – सिद्धार्थ |
पिता – शुद्धोधन |
माता – महामाया |
पालन-पोषण वाली विमाता – मौसी महाप्रजापति गौतमी |
पत्नी – यशोधरा |
पुत्र – राहुल |
सारथी – चन्ना |
गृह त्याग – 29 वर्ष की आयु |
ज्ञान प्राप्ति की अवस्था – 35 वर्ष की आयु |
ज्ञान प्राप्ति का स्थान – बोधगया (बिहार) |
ज्ञान-प्राप्ति के बाद नाम – गौतम बुद्ध, महात्मा बुद्ध, तथागत |
प्रथम गुरु – अलार कलाम (वैशाली) |
द्वितीय गुरु – उद्धालक रामपुत्त (राजगृह) |
सबसे प्रिय शिष्य – उपालि |
प्रथम उपदेश – सारनाथ (ऋषिपत्तनम) |
सर्वाधिक उपदेश – श्रावस्ती |
अंतिम उपदेश – पावा या पावापुरी (बिहार) |
गौतम बुद्ध का जन्म कब हुआ था – Gautam Buddh Ka Janm Kab Hua Tha
- भारतीय और सिंहली (श्रीलंका) परम्परा के अनुसार बुद्ध का जन्म 563 ई.पू. में हुआ।
- सिंहली परम्परा के अनुसार महात्मा बुद्ध का जन्म 624 ई. पू. में माना गया है। इस वर्ष को आधार लेकर भारत सरकार ने 1956 में महात्मा बुद्ध (Mahatma Budh) का 2500 वां जन्म दिन बनाया था।
गौतम बुद्ध का जन्म कहाँ हुआ – Gautam Buddh Ka Janm Kahan Hua Tha
- गौतम बुद्ध (Gautam Budh) का जन्म नेपाल की तराई में स्थित कपिलवस्तु लुम्बिनी ग्राम में हुआ था।
- इसका पता ’रूम्मनदेई स्तम्भ लेख’ से चलता है।
गौतम बुद्ध का बचपन – Gautam Budh Ka Bachpan
गौतम गोत्र में जन्म लेने के कारण वे गौतम भी कहलाये। बचपन में इन्हें सिद्धार्थ (Siddharth) नाम से पुकारते थे। सिद्धार्थ का अर्थ – वह जो सिद्धि प्राप्ति के लिए जन्मा हो। इनकी माता का नाम महामाया था, जो कोसल राजवंश की राजकुमारी थी। पिता का नाम शुद्धोधन था, जो नेपाल की सीमा में स्थित कपिलवस्तु नामक राज्य के राजा थे। जन्म के सातवें दिन महामाया का देहान्त हो गया। जिसके बाद सिद्धार्थ का पालन-पोषण उनकी मौसी, जो शुद्धोधन की दूसरी रानी प्रजापति गौतमी ने किया। इनके जन्म के समय भविष्य वाणी कर्ता – कौडिन्य, कालदेवल, ऋषि अशित मुनी इन्होंने कहा कि महात्मा बुद्ध चक्रवृत्ति सम्राट या चक्रवृति सन्यासी बनेगा।
जिसके कारण उनके पिता ने सिद्धार्थ को राजा बनाने के लिए उससे सभी दुखों और पीङा से दूर रखने के लिए कई प्रयत्न किये। लेकिन सिद्धार्थ बचपन से ही संवेदनशील और करुणाभावी थे। वे कभी किसी दूसरों का दुःख नहीं देख सकते थे। जिसके कारण सभी लोग उनसे बहुत प्रेम करते थे। राजा शुद्धोधन ने सिद्धार्थ को सन्यासी बनाने से रोकने के लिए उन्हें सांसारिक मोह-माया में बांधे रखने के लिए कई प्रयत्न किये।
महात्मा बुद्ध का राज्य शाक्य राज्य कहलाता था। सिद्धार्थ बचपन से ही बहुत चिंतनशील स्वभाव के थे। एकांत में बैठकर वे जीवन-मरण, सुख-दुख आदि विषयों पर गंभीरतापूर्वक विचार किया करते थे। इस प्रकार सांसारिक जीवन से विरक्त होते देख उनके पिता ने 16 वर्ष की अल्पायु में ही उनका विवाह कर दिया था। शाक्य राज्य की राजधानी – कपिलवस्तु (बिहार) थी। कपिलवस्तु रोहिणी नदी के तट पर बसा हुआ था। इसकी व्यवस्था गणतंत्रात्मक थी।
शिक्षा – Shiksha
- गुरु विश्वामित्र से सिद्धार्थ ने शिक्षा ली।
- साथ ही युद्ध कौशल विधा की शिक्षा भी ली।
- कुश्ती, घुङसवार, तीर कमान और रथ हाँकने में भी कुशल थे।
महात्मा बुद्ध का विवाह – Mahatma Budh Ka Vivah
16 वर्ष की अवस्था में सिद्धार्थ (Siddharth) का विवाह दंडपाणि शाक्य की कन्या यशोधरा से हुआ, जिनका बौद्ध ग्रंथों में अन्य नाम बिम्बा, गोपा, भद्कच्छना मिलता है। सिद्धार्थ से यशोधरा को एक पुत्र उत्पन्न हुआ जिसका नाम राहुल था। लेकिन सिद्धार्थ का मन गृहस्थी में नहीं रमा।
सिद्धार्थ (Siddharth) जब युवा हो गए थे। वे हर चीज को जानने को बङे ही उत्सुक थे। उन्होंने राजा शुद्धोधन से पहली बार महल से बाहर भ्रमण करने के लिए आज्ञा मांगी। जिसके बाद वे अपने बचपन के मित्र ’सारथी चन्ना’ के साथ भ्रमण पर निकल पङे। भ्रमण के दौरान उन्होंने मार्ग में जो कुछ भी देखा उसने उनके जीवन की दिशा ही बदल डाली।
- पहले एक बूढ़ा आदमी दिखाई दिया उसके दाँत टूट गये थे, बाल पके हुए थे और शरीर टेढ़ा हो गया था। हाथ ही लाठी पकङे धीरे-धीरे कांपता हुआ वह सङक पर चल रहा था।
- दूसरा व्यक्ति उन्होंने बीमार देखा उसकी सांस तेजी से चल रही थी। कंधे ढीले पङ गये थे, बांह सुख गई थी और पेट फूल गया था।
- तीसरा उन्होंने मृत व्यक्ति को देखा था। इस दृश्य ने सिद्धार्थ को बहुत विचलित किया था।
- चौथा व्यक्ति उन्होंने संन्यासी को देखा जो संसार की सारी भावनाओं और कामनाओं से मुक्त था। सन्यासी के जीवन से सिद्धार्थ बहुत प्रभावित हुआ और उन्हें अहसास हुआ कि अब उन्हें अंतिम सत्य की तलाश करना है।
गौतम बुद्ध का गृहत्याग – Gautam Buddha Ka Grah Tyag
- चार दृश्यों के कारण मोहभंग हुआ जिनका क्रम है – वृद्ध-बीमार-मृतक-सन्यासी।
- इन चार दृश्यों की वितृष्णा के कारण पूर्णिमा की रात को 29 वर्ष की आयु मेें उन्होंने महल एवं परिवार को त्याग दिया। इस गृहत्याग को बौद्ध धर्म में महाभिनिष्क्रमण कहा गया है।
- महाभिनिष्क्रमण का अर्थ – महान् परायण (बङी यात्रा)।
- इस रात को जिस सारथी के साथ गृहत्याग किया। इसका नाम चन्ना था और घोङे का नाम कण्ठक था।
गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति – Gautam Buddha Ko Gyan Ki Prapti
गृहत्याग के उपरान्त सिद्धार्थ (Siddharth) ने अनोमा नवी के तट पर अपने सिर को मुङवा कर भिक्षुओं का काषाय वस्त्र धारण किया और जंगलों की ओर निकल पङे। सात वर्ष तक वे ज्ञान की खोज में इधर-उधर भटकते रहे। सर्वप्रथम वैशाली के समीप अलार कलाम (सांख्य दर्शन का आचार्य) उनके प्रथम गुरु बने। फिर राजगृह में उद्धालक रामपुत्त नामक संन्यासी उनके दूसरे गुरु बने। यहाँ से सन्तुष्टि नहीं मिली। इसलिए बिहार के सेनापति गाँव के पास उरुवेला (बोधगया) के जंगलों में कठोर तपस्या आरम्भ की।
इस तपस्या में इनके साथ पाँच अन्य ऋषि भी थे –
- कौडिन्य
- अश्वजित
- महानाम
- वप्र
- भद्रिक।
एक दिन सुजाता नामक महिला द्वारा महात्मा बुद्ध को खीर खिलाने के कारण, ये पाँचों ऋषि उरूवेला जंगलों को छोङकर चले गये। तब महात्मा बुद्ध ’गया’ गये और निरंजना नदी के किनारे वट (पीपल) नामक पेङ के नीचे ध्यान-मग्न हो गये। बिना अन्न, जल के 6 वर्ष की कठिन तपस्या के बाद उन्हें 35 वर्ष की आयु में वैशाख की पूर्णिमा की रात निरंजना नदी के किनारे पीपल वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ। एक बैशाख मास पूर्णिमा को रात को उनको ज्ञान प्राप्त हुआ, इसे निर्वाण कहते है। लेकिन इतिहास में इसे ’बुद्धत्व की प्राप्ति’ कहा जाता है।
इस घटना के बाद सिद्धार्थ ’बुद्ध’ बन गये। बुद्ध का मतलब, वह व्यक्ति जिसने सम्पूर्ण संसार को जानने वाला। गया बन गई बौद्धगया न्योग्रोथ का पेङ (वट/पीपल) बन गया ’बोधिवृक्ष’, बुद्ध बन गए तथागत। तथागत का अर्थ – वास्तविक सत्यों को जानने वाला।
इसके बाद महात्मा बुद्ध ने महायान परम्परा के अनुसार बह्न याचक के अनुसार ब्रह्म की याचना से विश्व में ज्ञान का सन्देश फैलाने का निर्णय लिया। इसके लिए उन्होंने उपदेश देने आरम्भ किये। महात्मा बुद्ध के उपदेश सीधे-सादे थे। उनके उपदेशों का लोगों पर गहरा प्रभाव पङा। अनेक राजा और आम नागरिक बुद्ध के अनुयायी बन गए। उनके अनुयायी ’बौद्ध’ कहलाए। महात्मा बुद्ध के जीवन से सम्बन्धित घटनाओं का वर्णन ’जातक कथाओं’ में प्राप्त होता है।
महात्मा बुद्ध का प्रथम उपदेश – Mahatma Budh Ka Pratham Updesh
- उरुवेला से बुद्ध सारनाथ (ऋषि पत्तनम एवं मृगदाव) आये।
- यहाँ पर उन्होंने पाँच ब्राह्मण संन्यासियों को अपना प्रथम उपदेश दिया, जिसे बौद्ध ग्रन्थों में ’धर्म चक्र प्रवर्तन’ नाम से जाना जाता है।
- इन्होंने अपना उपदेश पाली भाषा में दिया, जो वहाँ की जनभाषा थी।
- बौद्ध संघ में प्रवेश सर्वप्रथम यहीं से प्रारम्भ हुआ।
- महात्मा बुद्ध ने ’तपस्स एवं काल्लिक’ नामक दो शूद्रों को बौद्ध धर्म का सर्वप्रथम अनुयायी बनाया।
बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार – Baudh Dharm Ka Prachar Prasar
गौतम बुद्ध ने सारनाथ में बौद्ध धर्म (बौद्धसंघ) की स्थापना की। बुद्ध ने अपने जीवन का सर्वाधिक उपदेश कोशल देश की राजधानी श्रावस्ती में दिये। उन्होंने मगध को अपना प्रचार केन्द्र बनाया। बुद्ध के प्रसिद्ध अनुयायी शासकों में बिम्बिसार, प्रसेनजित्त तथा उदयन थे। भगवान बुद्ध ने अपने शूद्रों, अछूतों और महिलाओं को भी अपने संघ में शामिल किया।
श्रावस्ती से गौतम बुद्ध वाराणसी आये और वाराणसी में उन्होंने ’यश’ नामक श्रेष्ठि को दीक्षित किया तथा यहीं पर उन्होंने ’बौद्ध भिक्षुसंघ’ की स्थापना की।
फिर ये उरुेवला गये और वहाँ पर 30 युवाओं का समूह था, जिसका मुखिया ’भद्र’ था, जिसको बुद्ध ने दीक्षित किया। यहीं पर उन्होंने तीन कश्यप ब्राह्मण- मुख्य कश्यप, गया कश्यप और नन्द कश्यप को दीक्षित किया।
उरुवेला से बुद्ध राजगृह आये और राजगृह के राजा बिम्बिसार थे। राजा बिम्बिसार से बुद्ध ने वादा किया था कि जब हमें ज्ञान प्राप्त होगा तो हम सबसे पहले राजगृह में आयेंगे। जब गौतम बुद्ध राजगृह पहुँचे तो वहाँ पर उन्होंने बिम्बिसार, अजातशत्रु, अभय और महाकोशला को बौद्ध धर्म में दीक्षित किया। बिम्बिसार ने बुद्ध को (बौद्ध धर्म) ’वेलूवन विहार’ दान किया।
राजगृह से गौतम बुद्ध कपिलवस्तु गये। कपिलवस्तु में उस समय राजा शुद्धोधन गौतमी से उत्पन्न पुत्र नन्दी के राज्यारोहण की तैयार कर रहे थे और नगर पूरी से सजा हुआ था। जब वहाँ के लोगों को बुद्ध के आने की सूचना मिलती है तो जनता बुद्ध के दर्शन के लिए झुण्ड के रूप में आ गई थी। बुद्ध ने अपने परिवार के सदस्यों को बौद्ध धर्म में दीक्षित कर लिया। उसी समय माता गौतमी ने बुद्ध से बौद्ध धर्म में दीक्षित करने के लिए कहा था, लेकिन बुद्ध ने मना कर दिया। कपिलवस्तु में ही बुद्ध ने आनन्द उपाधि, एवं अनिरुद्ध को बौद्ध धर्म में दीक्षित किया। बुद्ध के प्रधान शिष्य उपालि व आनन्द थे। गौतम बुद्ध के सबसे प्रिय और आत्मीय शिष्य आनंद थे। कपिलवस्तु के राजभवन को बुद्ध ने उद्घाटन किया।
कपिलवस्तु से बुद्ध वैशाली गये और यहाँ पर अपने शिष्य आनन्द के कहने पर बुद्ध ने माता गौतमी को बुद्ध संघ में दीक्षित कर दिया। यहीं पर ’बौद्ध भिक्षुणी संघ’ की स्थापना हो गई। वैशाली के महान् गणिका आम्रपाली थी, जो अनाथ थी। कहा जाता है कि वैशाली के एक सामन्त ने उनका पालन-पोषण किया था। आम्रपाली को बुद्ध ने बौद्ध संघ में दीक्षित कर लिया। आम्रपाली ने बुद्ध को आम्रवाटिका विहार दान में दिया।
मृत्यु से पूर्व कुशीनगर के परिव्राजक सुभद्द को उन्होंने अपना अंतिम उपदेश दिया।
बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार करते हुए अन्तिम उपदेश बुद्ध ने मल्ल गणराज्य की राजधानी पावा या पावापुरी (बिहार) में दिया।
महापरिनिर्वाण के बाद बुद्ध के अवशेषों को आठ भागों में विभाजित किया गया।
महात्मा बुद्ध की मृत्यु कहाँ हुई थी – Mahatma Buddha Ki Mrityu Kahan Hui
- पावापुरी/पावा में चुण्ड नामक लुहार द्वारा भेंट सुअर (शुकर) का मांस खाने के बाद इनकी तबीयत बिगङ गई और उन्हें अतिसार हो गया था। इनकी आंत इस सुअर के माँस को पचा नहीं पाती है।
- इसी कारण गौतम बुद्ध का 483 ई. पू. में 80 वर्ष की अवस्था में मृत्यु हो गई। इसे बौद्ध परम्परा में महापरिनिर्वाण के नाम से जाना जाता है।
- बुद्ध का अन्त्येष्टि संस्कार मल्लों द्वारा किया गया था।
Gautam Buddha History in Hindi
बुद्ध के जीवन से सम्बन्धित बौद्ध धर्म के प्रतीक
प्रमुख प्रतीक चिह्न | |
घटनाएँ | प्रतीक (चिह्न) |
जन्म | वृषभ (सांड), हाथी, कमल |
महाभिनिष्क्रमण | घोङा |
ज्ञान | पीपल (बोधि वृक्ष) |
सम्बोधि | वृक्ष |
धर्मचक्राप्रवर्तन | चक्र |
महापरिनिर्वाण | स्तूप या पद्-चिह्न |
Biography of Mahatma Buddha in Hindi
प्रमुख स्थान | |
स्थान | महत्व |
1. लुम्बिनी (नेपाल) | जन्म |
2. बौद्धगया (बिहार) | ज्ञान की प्राप्ति |
3. सारनाथ (उत्तरप्रदेश) | प्रथम उपदेश (धर्मचक्रप्रवर्तन) |
4. कुशीनगर (बिहार) | परिनिर्वाण |
5. राजगृह (बिहार) | नाला हस्ती दमन |
6. श्रावस्ती (उत्तरप्रदेश) | जैतवन बौद्ध विहार का निर्माण सबसे ज्यादा उपदेश दिये। |
7. वैशाली (बिहार) | महा प्रदर्शन |
8. संकिसा (बिहार) | तुक्षिता (स्वर्ग) स्वर्ग में महामाया को बौद्ध धर्म की दीक्षा देकर यहाँ सबसे पहले अवतरित हुए है। |
गौतम बुद्ध के उपदेश- Gautam Buddha Updesh in Hindi
आर्य सत्य – Arya Satya

बौद्ध धर्म के मूलाधार चार आर्य सत्य हैं। ये हैं –
चार आर्य सत्य | |
(1) दुःख | जन्म, मृत्यु, रोग, इच्छा आदि सभी दुःख देते है। |
(2) दुःख समुदाय | किसी प्रकार की इच्छा सभी दुःखों का कारण है। |
(3) दुःख निरोध | तृष्णाओं पर नियंत्रण करना चाहिए ताकि हम दुःख से बच सकें। |
(4) अष्टांगिक मार्ग (दुःख निवारक मार्ग) | सांसारिक दुःखों को दूर करने के आठ मार्ग हैं, इन्हें आष्टांगिक मार्ग या मध्यम या मज्झिम प्रतिपदा कहा गया है इसे अपनाकर मनुष्य निर्वाण प्राप्त करने में सक्षम है। |
मध्यम मार्ग क्या है – Madhyam Marg Kya Hai
- दुःख को हरने वाले तथा तृष्णा का नाश करने वाले अष्टांगिक मार्ग के आठ अंग है। जिन्हें मज्झिम प्रतिपदा अर्थात् मध्यम मार्ग भी कहते हैं।
- ’तैत्तरीय उपनिषद’ बुद्ध के आष्टांगिक मार्ग का स्रोत है।
गौतम बुद्ध का अष्टांगिक मार्ग(Buddha Ashtanga marga in hindi)
अष्टांगिक मार्ग के तीन मुख्य भाग हैं –
- प्रज्ञा ज्ञान
- शील
- समाधि।
इन तीन प्रमुख भागों के अन्तर्गत आठ उपायों की प्रस्तावना की गयी है वे निम्न हैं-
आष्टांगिक मार्ग | विवरण |
(1) सम्यक् दृष्टि | वस्तुओं के वास्तविक स्वरूप का ध्यान करना सम्यक् दृष्टि है। |
(2) सम्यक् संकल्प | आसक्ति, द्वेष तथा हिंसा से मुक्त विचार रखना सम्यक् संकल्प है। |
(3) सम्यक् वाक्ः | अप्रिय वचनों के सर्वथा परित्याग को सम्यक् वाक् कहा जाता है। |
(4) सम्यक् कर्मान्तः | परिश्रम, दया, सत्य, अहिंसा आदि सत्कर्मों का अनुसरण ही सम्यक् कर्मान्त है। |
(5) सम्यक् आजीविका | सदाचार के नियमों के अनुकूल आजीविका के अनुसरण करने को सम्यक् आजीविका कहते हैं। |
(6) सम्यक् व्यायाम | नैतिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक उन्नति के लिये सतत् प्रयत्न करते रहना सम्यक् व्यायाम है। |
(7) सम्यक् स्मृति | अपने विषय में सभी प्रकार की मिथ्या धारणाओं का त्याग कर सच्ची धारणा ही सम्यक् स्मृति है। |
(8) सम्यक् समाधि | उचित व्यवस्था में बैठकर ध्यान एकाग्र करते हुए उचित विचार और वस्तु पर चिन्तन करते हुए वास्तविक सत्यता को प्राप्त करना अर्थात् ज्ञान को प्राप्त करना। |
बौद्ध धर्म में दसशील – Baudh Dharm Mein Dasashil
- सत्य
- अहिंसा
- अस्तेय
- अपरिग्रह
- परोपकार
- शैय्या का त्याग
- सुगंधित द्रव का त्याग।
कर्मवाद एवं पुनर्जन्म –
महात्मा बुद्ध कहते थे कोई भी अगर व्यक्ति अगर कर्म करता है तो उसे उसका फल भोगना ही पङता है। बुद्ध ने ईश्वर और आत्मा के अस्तित्व को अस्वीकार किया था तथा पुनर्जन्म को उन्होंने स्वीकार कर लिया था।
बौद्ध धर्म की विशेषताएं – Baudh Dharm Ki Visheshtayen
- बौद्ध धर्म के त्रिरत्न – बुद्ध, धम्म तथा संघ।
- त्रिकर्म – शारीरिक, वाचिक, मानसिक ये त्रिकर्म है।
- अष्टांगिक मार्ग को भिक्षुओं का ’कल्याण मित्र’ कहा गया।
- बौद्ध धर्म के अनुसार मनुष्य के जीवन का परम लक्ष्य है – निर्वाण प्राप्ति। निर्वाण का अर्थ है दीपक का बुझ जाना अर्थात् जीवन-मरण के चक्र से मुक्त हो जाना। यह निर्वाण इसी जन्म से प्राप्त हो सकर्ता है, किन्तु महापरिनिर्वाण मृत्यु के बाद ही सम्भव है।
- बुद्ध ने दस शीलों के अनुशीलन को नैतिक जीवन का आधार बनाया है।
- जिस प्रकार दुःख समुदाय का कारण जन्म है उसी तरह जन्म का कारण अज्ञानता का चक्र है। इस अज्ञान रूपी चक्र को ’प्रतीत्य समुत्पाद’ कहा जाता है।
- प्रतीत्य समुत्पाद ही बुद्ध के उपदेशों का सार एवं उनकी सम्पूर्ण शिक्षाओं का आधार स्तम्भ है। प्रतीत्य समुत्पाद का शाब्दिक अर्थ है – प्रतीत्य (किसी वस्तु के होने पर) समुत्पाद (किसी अन्य वस्तु की उत्पत्ति)।
- प्रतीत्य समुत्पाद के 12 क्रम है जिन्हें द्वादश निदान कहा जाता है जिसमें सम्बन्धित है –
- जाति
- जरामरण
- अविद्या
- संस्कार
- विज्ञान
- नाम-रूप
- स्पर्श, तृष्णा
- वेदना
- षडायतन
- भव
- उपादान।
- प्रतीत्य समुत्पाद में ही अन्य सिद्धान्त जैसे – क्षण-भंगवाद तथा नैरात्मवाद आदि समाहित हैं।
- बौद्ध धर्म मूलतः अनीश्वरवादी है। वास्तव में बुद्ध ने ईश्वर के स्थान पर मानव प्रतिष्ठा पर ही बल दिया।
- बौद्ध धर्म अनात्मवादी है। इसमें आत्मा की परिकल्पना नहीं की गई है। यह पुनर्जन्म में विश्वास करता है। अनात्मवाद को नैरात्मवाद भी कहा जाता है।
- बौद्ध धर्म ने वर्ण व्यवस्था एवं जाति प्रथा का विरोध किया।
- बौद्ध संघ का दरवाजा हर जातियों के लिए खुला था। स्त्रियों को भी संघ में प्रवेश का अधिकार प्राप्त था। इस प्रकार वह स्त्रियों के अधिकारों का हिमायती था।
- संघ की सभा में प्रस्ताव (नत्ति) का पाठ होता था। प्रस्ताव पाठ को अनुसावन कहते थे। सभा की वैध कार्यवाही के लिए न्यूनतम संख्या (कोरम) 20 थी।
- संघ में प्रविष्ट होने को उपसम्पदा कहा जाता था।
- बौद्ध संघ का संगठन गणतंत्र प्रणाली पर आधारित था। संघ में चोर, हत्यारों, ऋणी व्यक्तियों, राजा के सेवक, दास तथा रोगी व्यक्तियों का प्रवेश वर्जित था।
- बौद्धों के लिए महीने के 4 दिन अमावस्या, पूर्णिमा और दो चतुर्थी दिवस उपवास के दिन होते थे।
- अमावस्या, पूर्णिमा तथा दो चतुर्थी दिवस को बौद्ध धर्म में उपोसथ अर्थात् उपवास दिवस मनाया जाता है जिसे श्रीलंका में ’रोजा’ के नाम से जाना जाता है।
- बौद्धों का सबसे पवित्र एवं महत्त्वपूर्ण त्यौहार वैशाख पूर्णिमा है जिसे ’बुद्ध पूर्णिमा’ के नाम से भी जाना जाता है।
- बौद्ध धर्म में बुद्ध पूर्णिमा के दिन का इसलिए महत्त्व है क्योंकि इसी दिन बुद्ध का जन्म, ज्ञान की प्राप्ति एवं महापरिनिर्वाण की प्राप्ति हुई।
- महात्मा बुद्ध से जुङे आठ स्थान लुम्बिनी, गया, सारनाथ, कुशीनगर, श्रावस्ती, संकास्य, राजगृह तथा वैशाली को बौद्ध ग्रंथों में ’अष्टमहास्थान’ नाम से जाना गया।
- बौद्ध धर्म वेदों को नहीं मानते है, इसीलिए इन्हें नास्तिक कहते है।
- संसार से विमुख होने की बात करता है, इसीलिए निवृत्ति मार्गी है।
- सृष्टि के रचयिता के रूप में ईश्वर को नहीं मानता है।
महात्मा बुद्ध के मंदिर और मूर्तियाँ – Mahatma Buddha Ka Mandir or Murtiya
- बौद्धों का सबसे प्रसिद्ध मंदिर – बोराबदुर जावा द्वीप (इण्डोनेशिया) में है।
- निर्माण समय – 750-800 ई.
- निर्माणकर्ता – शेलेन्द्र वंशज
Mahatma Gautam Buddha
तीन मूर्तियाँ प्रसिद्ध हैं –
1. सारनाथ (वाराणसी) उत्तर प्रदेश
- सारनाथ में सबसे प्राचीन महात्मा बुद्ध की मूर्ति है, जो काले पाषाण (पत्थर) की बनी हुई है।
- महात्मा बुद्ध इसमें पद्मासन की अवस्था में बैठे है।
- महात्मा बुद्ध के हाथ धर्मचक्र प्रवर्तन मुद्रा में है।
- ललाट पर दिव्य चक्र बना हुआ है जो आध्यात्मिकता प्रदर्शन है।
- उनके सिर पर बाल कुंचित (घुंडीदार) किये हुए है, जो यूनानी प्रभाव को दिखाता है।
2. मथुरा (उत्तरप्रदेश)
- मथुरा में महात्मा बुद्ध की की मूर्ति है, जो लाल पत्थर (पाषाण) की बनी हुई है।
- बुद्ध खङे अवस्था में है।
- पारदर्शी वस्त्र पहने हुए है जो सलवटें दिखाते है। जो यूनानी प्रभाव को दिखाता है।
3. सुल्तानगंज (उत्तरप्रदेश)
- यहाँ बुद्ध की मूर्ति ताँबे की बनी हुई है।
- महात्मा बुद्ध खङे अवस्था में है।
- ताँबे की मूर्ति की ऊँचाई – 7.5 फीट है और वजन-1 टन है।
स्तूप – Stupa
- स्तूप का पहले अर्थ – राख का ढेर लिया गया बाद में मिट्टी के ढेर के सन्दर्भ में स्तूप का अर्थ लिया जाने लगा।
- इन स्तूपों को दक्षिण भारत में चैत्य कहा गया।
- स्तूप जहाँ उत्तरी भारत में पत्थर और ईंटों को जोङकर बनाये जाते थे, वहीं चैत्य दक्षिण भारत में पर्वतों की चट्टानों को काटकर बनाये गये।
- गौतम बुद्ध की मृत्यु के बाद 8 क्षत्रिय राजाओं ने आठ जगहों पर बुद्ध के स्तूप बनवाये। वहाँ पर बुद्ध के अवशेष रखे।
क्षत्रिय राजा | स्थान |
1. अजातशत्रु | राजगृह (बिहार) |
2. मल्ल | पावापुरी (बिहार) |
3. मल्ल | कुशीनगर (बिहार) |
4. लिच्छवि | वैशाली (बिहार) |
5. कौलिय | रामग्राम (बिहार) |
6. बुलि | अलकल्प (बिहार) |
7. ब्राह्मण | वेटद्वीप (उत्तरप्रदेश) |
8. शाक्य | कपिलवस्तु (बिहार)। |
गौतम बुद्ध से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण प्रश्न – Gautam Buddha ke Question
1. गौतम बुद्ध का जन्म कब हुआ था ?
उत्तर – 563 ईसा पूर्व
2. गौतम बुद्ध का जन्म कहाँ हुआ था ?
उत्तर – नेपाल की तराई में स्थित कपिलवस्तु लुम्बिनी ग्राम
3. बुद्ध का जन्म किस क्षत्रिय कुल में हुआ था ?
उत्तर – शाक्य कुल
4. गौतम बुद्ध के बचपन का नाम क्या था ?
उत्तर – सिद्धार्थ
5. गौतम बुद्ध के पिता का नाम क्या था ?
उत्तर – शुद्धोधन
6. गौतम बुद्ध की माता का नाम क्या था ?
उत्तर – महामाया
7. गौतम बुद्ध की माता की मृत्यु कब हुई ?
उत्तर – गौतम बुद्ध के जन्म के सातवें दिन
8. गौतम बुद्ध का लालन-पालन किसने किया था ?
उत्तर – मौसी महाप्रजापति गौतमी
9. गौतम बुद्ध के पत्नी का नाम क्या था ?
उत्तर – यशोधरा
10. गौतम बुद्ध के पुत्र का नाम क्या था ?
उत्तर – राहुल
11. किन चार दृश्यों के कारण सिद्धार्थ का मोहभंग हुआ था ?
उत्तर – जिनका क्रम है – वृद्ध-बीमार-मृतक-सन्यासी।
12. सिद्धार्थ ने कब गृहत्याग किया था ?
उत्तर – पूर्णिमा की रात को 29 वर्ष की आयु मेें
13. गौतम बुद्ध के गृहत्याग को बौद्ध धर्म में क्या कहा गया है ?
उत्तर – महाभिनिष्क्रमण
14. बुद्ध ने सांख्य दर्शन की शिक्षा किससे ग्रहण की ?
उत्तर – अलार कलाम
15. सिद्धार्थ को गृहत्याग करने के बाद कितने वर्ष बाद ज्ञान प्राप्त हुआ ?
उत्तर – 6 वर्ष
16. गौतम बुद्ध को कितने वर्ष की आयु में ज्ञान प्राप्त हुआ ?
उत्तर – 35 वर्ष की आयु में
17. बुद्ध को किस स्थान पर ज्ञान प्राप्त हुआ ?
उत्तर – बौद्धगया
18. सिद्धार्थ को ज्ञान की प्राप्ति किस वृक्ष के नीचे हुआ ?
उत्तर – न्योग्रोथ का पेङ (वट/पीपल वृक्ष)
19. बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति किस नदी के किनारे हुआ ?
उत्तर – निरंजना नदी
20. ज्ञान प्राप्ति के बाद सिद्धार्थ किस नाम से जाने गए?
उत्तर – गौतम बुद्ध
21. गौतम बुद्ध को किस रात्रि के दिन ज्ञान की प्राप्ति हुई ?
उत्तर – वैशाखी पूर्णिमा।
22. गौतम बुद्ध के सबसे प्रिय और आत्मीय शिष्य कौन थे ?
उत्तर – आनंद
23. बुद्ध ने अपना उपदेश किस भाषा में दिए ?
उत्तर – पाली भाषा में
24. गौतम बुद्ध के प्रथम गुरु नाम था ?
उत्तर – आलार कलाम
25. गौतम बुद्ध के दूसरे गुरु का नाम क्या था ?
उत्तर – उद्धालक रामपुत्त
26. सारनाथ में बुद्ध का प्रथम प्रवचन क्या कहलाता है ?
उत्तर – धर्मचक्रप्रवर्तन
27. गौतम बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश कहाँ दिया था ?
उत्तर – सारनाथ (ऋषि पत्तनम एवं मृगदाव)
28. महात्मा बुद्ध ने बौद्ध धर्म का सर्वप्रथम अनुयायी किसे बनाया था ?
उत्तर – ’तपस्स एवं काल्लिक’ नामक दो शूद्रों को।
29. गौतम बुद्ध ने बौद्ध धर्म (बौद्धसंघ) की स्थापना कहाँ की ?
उत्तर – सारनाथ में
30. उरुवेला में कितने ब्राह्मण बुद्ध के शिष्य बने ?
उत्तर – पाँच ब्राह्मण
31. बौद्ध धर्म को अपनाने वाली प्रथम महिला कौन थी ?
उत्तर – बुद्ध की माँ प्रजापति गौतमी
32. गौतम बुद्ध द्वारा भिक्षुणी संघ की स्थापना कहाँ की गयी थी?
उत्तर – कपिलवस्तु में
33. बुद्ध के प्रधान कौन शिष्य थे ?
उत्तर – उपालि व आनन्द
34. गौतम बुद्ध द्वारा अपने धर्म में दीक्षित किया जाने वालो अंतिम व्यक्ति कौन था ?
उत्तर – सुभद्द
35. बुद्ध ने सर्वाधिक उपदेश कहाँ दिए ?
उत्तर – श्रावस्ती
36. महात्मा बुद्ध की मृत्यु की घटना को बौद्ध धर्म में क्या कहा गया है ?
उत्तर – महापरिनिर्वाण
37. महापरिनिर्वाण के बाद बुद्ध के अवशेषों को कितने भागों विभाजित किया गया ?
उत्तर – आठ भागों में
38. बुद्ध को किस स्थान पर महापरिनिर्वाण (मृत्यु) प्राप्त हुई थी ?
उत्तर – कुशीनारा/कुशीनगर में
39. बुद्ध के महाभिनिष्क्रमण का प्रतीक है ?
उत्तर – घोङा
40. बुद्ध ने किस वर्ष निर्वाण प्राप्त किया ?
उत्तर – 483 ईसा पूर्व
41. महात्मा बुद्ध के जन्म का प्रतीक है ?
जन्म – वृषभ (सांड), हाथी, कमल
42. महात्मा बुद्ध के महापरिनिर्वाण का प्रतीक है ?
उत्तर – स्तूप या पद्-चिह्न
43. महात्मा बुद्ध का धर्मचक्राप्रवर्तन का प्रतीक है ?
उत्तर – चक्र
44. बौद्ध संघ में प्रविष्ट होने को क्या कहा जाता था ?
उत्तर – उपसंपदा
45. गौतम बुद्ध की मूर्तियाँ कहाँ स्थित है ?
उत्तर – सारनाथ (वाराणसी) उत्तर प्रदेश, मथुरा (उत्तरप्रदेश), सुल्तानगंज (उत्तरप्रदेश)।
46. गौतम बुद्ध के सारथी का नाम क्या था ?
उत्तर – चन्ना
47. बौद्धों का सबसे प्रसिद्ध मंदिर कहाँ है ?
उत्तर – बोराबदुर जावा द्वीप (इण्डोनेशिया)
48. बौद्ध धर्म मूलतः है ?
उत्तर – अनीश्वरवादी
49. बौद्धों का सबसे पवित्र एवं महत्त्वपूर्ण त्यौहार कौनसा है ?
उत्तर – वैशाख पूर्णिमा है, जिसे ’बुद्ध पूर्णिमा’ के नाम से भी जाना जाता है।
50. बौद्ध धर्म में बुद्ध पूर्णिमा का दिन क्यों महत्त्वपूर्ण है ?
उत्तर – इसी दिन बुद्ध का जन्म, ज्ञान की प्राप्ति एवं महापरिनिर्वाण की प्राप्ति हुई।
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