आज के आटिंकल में हम भगत सिंह (Bhagat Singh) के बारे में पढ़ेंगे। जिसके अन्तर्गत भगत सिंह का जीवन परिचय (Bhagat Singh Biography), भगत सिंह का क्रांतिकारी जीवन (Information About Bhagat Singh), नौजवान भारत सभा (Naujawan Bharat Sabha), असेंबली बम कांड (Assembly Bomb Case) के बारे में जानेंगे।
भगत सिंह – Bhagat Singh
भगत सिंह का जीवन परिचय (Bhagat Singh Biography) | |
जन्म | 28 सितंबर 1907 |
जन्मस्थान | पंजाब के लायलपुर जिले के बंगा गाँव में |
मृत्यु | 23 मार्च 1931 |
मृत्युस्थल | लाहौर, पंजाब (अब पाकिस्तान में) |
मृत्यु का कारण | फांसी |
मृत्यु के समय आयु | 23 वर्ष |
उपनाम | भाग्यवान (भगोवाला), शहीद-ए-आजम |
पिता | सरदार किशन सिंह (गदर पार्टी के सदस्य) |
माता | विद्यावती कौर |
दादा | अजीत सिंह |
दादी | जयकौर |
काॅलेज | नेशनल काॅलेज, लाहौर (1923) |
चाचा | अजीत सिंह, स्वर्ण सिंह |
भाई | कुलतार सिंह, कुलबीर सिंह, राजिंदर सिंह, जगत सिंह, रणबीर सिंह |
बहन | बीबी प्रकाश कौर, बीबी अमर कौर, बीबी शकुंतला कौर |
गुरु | करतार सिंह सराभा |
धर्म | सिख |
वैवाहिक स्थिति | अविवाहित |
उपलब्धियां | भारतीय क्रांतिकारी, स्वतंत्रता सेनानी |
नारा | इंक़लाब ज़िन्दाबाद |
भगत सिंह का जन्म कब हुआ था – Bhagat Singh Ka Janm Kab Hua Tha
भगत सिंह का जन्म (Bhagat Singh Birthday) 28 सितबंर 1907 को पंजाब प्रांत के एक सिख परिवार में लायलपुर जिले के बंगा गाँव (वर्तमान में पाकिस्तान) में हुआ था।
Bhagat Singh Family
भगत सिंह के पिता सरदार किशन सिंह गदर पार्टी के सदस्य थे। माता (Bhagat Singh Mother) का नाम विद्यावती कौर था। इनके दादा का नाम अजीत सिंह तथा दादी का नाम जयकौर था। इनके पिता किशनसिंह तथा चाचा अजीतसिंह भी स्वतंत्रता सेनानी थे। यही कारण है कि भगत सिंह (Speech on Bhagat Singh in Hindi) भी स्वतंत्रता सेनानी बनने की ओर आकर्षित हुए। इनके पिता किशनसिंह और दोनों चाचा अजीत सिंह एवं स्वर्ण सिंह भारत देश को आजाद कराने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ लङाई लङ रहे थे तथा वे स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से जुङे हुए थे।
भगत सिंह के बचपन का नाम क्या था – Bhagat Singh Ke Bachpan Ka Naam
जब भगत सिंह का जन्म हुआ था तब उनके पिता एवं चाचा जेल से रिहा होकर आये थे। भगत सिंह की दादी जयकौर ने इनका नाम भागां वाला (अच्छे भाग्य वाला) रखा था। बाद में इनको भगत सिंह कहा जाने लगा था। अर्थात् भाग्यवान कहकर पुकारा था।
भगत सिंह की शिक्षा – Bhagat Singh Education
भगत सिंह की प्रारंभिक शिक्षा बंगा के प्राईमरी स्कूल में हुई थी। इसके बाद उनके पिता ने उनका दाखिला लाहौर के डीएवी स्कूल में करवा दिया। डीएवी में पढ़ाई के दौरान ही भगत सिंह लाला लाजपत राय और रास बिहारी बोस जैसे राष्ट्रवादियों के संपर्क में आये। 1923 में उन्होंने नेशनल काॅलेज, लाहौर में पढ़ाई की। इन्हीं दिनों 13 अप्रैल 1919 को जब अमृतसर में जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड हुआ तब भगत सिंह मात्र 12 वर्ष के थे।
इसकी सूचना मिलते ही भगत सिंह अपने स्कूल से 12 मील पैदल चलकर जलियाँवाला बाग पहुँच गये और उस जगह से मिट्टी इकट्ठा कर इसे पूरी जिंदगी एक निशानी के रूप में रखा। मगर इस घटना ने भगत सिंह की सोच पर गहरा प्रभाव डाला तथा वे बहुत आहत हुए। इस अमानवीय हत्याकांड को देखने के बाद उन्होंने किसी भी कीमत पर भारत को अंग्रेजों से आजाद कराने की ठान ली। इस घटना ने भगत सिंह को क्रांतिकारी बना दिया।
भगत सिंह का क्रांतिकारी जीवन – Information About Bhagat Singh
भगत सिंह महात्मा गांधी जी से बहुत प्रभावित थे। जब 1921 में गांधीजी ने असहयोग आंदोलन शुरू किया, तब भगत सिंह अपने पढ़ाई छोङकर इस आन्दोलन में शामिल हो गए। 5 अप्रैल, 1922 में चौरी-चौरा कांड की घटना के बाद गांधी जी ने असहयोग आन्दोलन वापस ले लिया जिससे उन्हें गहरा धक्का लगा था और वे बहुत निराश हुए।
भगत सिंह इस नतीजे पर पहुँचे कि अहिंसा से देश को आजाद नहीं मिल सकती और इसके लिए सशस्त्र क्रांति ही एकमात्र सही मार्ग है। असहयोग आंदोलन के बाद भगत सिंह क्रांतिकारी गतिविधियों में सक्रिय हो गए। वे 1924 में शचीन्द्रनाथ सान्याल द्वारा स्थापित ’हिन्दुस्तान रिपलब्किन एसोसिएशन’ नामक संस्था में शामिल हो गये। 1924 में जब भगत सिंह की दादी जयकौर ने भगत सिंह की शादी की इच्छा प्रकट की, इस पर वो अपना घर छोङकर भाग गये।
नौजवान भारत सभा – Naujawan Bharat Sabha
अपनी क्रांतिकारी गतिविधियों को जारी रखने के लिए भगत सिंह ने मार्च 1926 को लाहौर में ’नौजवान भारत सभा’ नाम से एक क्रांतिकारी संगठन बनाया। इस संगठन के अध्यक्ष रामकिशन, महामंत्री भगत सिंह तथा प्रचारमंत्री भगवती चरण वोहरा थे। उनके दल के प्रमुख क्रांतिकारी – सुखदेव, यशपाल, चन्द्रशेखर आजाद एवं राजगुरू थे। नौजवान भारत सभा का मुख्य उद्देश्य देश के युवाओं में देशभक्ति की भावना पैदा करना था।
Information About Bhagat Singh
9 अगस्त 1925 को काकोरी कांड हुआ था, जिसमें चार महान् क्रांतिकारी नेताओं – रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, राजेन्द्रनाथ लाहिङी, ठाकुर रोशनसिंह को फांसी की सजा दी गई थी। इनको फांसी की सजा मिलने पर भगत सिंह बहुत अधिक उद्विग्न हुए। अक्टूबर 1928 में भगत सिंह ने चन्द्रशेखर आजाद के साथ मिलकर दिल्ली के फिरोज शाह कोटला मैदान में ’हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन’ (HSRA) का गठन किया।
इस संस्था का मुख्य उद्देश्य – सशस्त्र क्रांति के माध्यम से भारत में गणतंत्र की स्थापना करना था। इस दल के तीन विभाग बनाये गये – संगठन, प्रचार और सामरिक संगठन विभाग। संगठन का दायित्व विजय कुमार सिन्हा, प्रचार का दायित्व भगत सिंह को और सामरिक विभाग का दायित्व चन्द्रशेखर आजाद को सौंपा गया था। भगत सिंह एक जागरुक तथा धर्मनिरपेक्ष क्रांतिकारी थें। भगत सिंह ने अपनी ’नौजवान भारत सभा’ का भी इस संस्था में विलय कर लिया। नौजवान भारत सभा के छह नियमों में से दो के अनुसार इस सभा के सदस्य किसी ऐसी संस्था, संगठन या पार्टी से किसी तरह का संबंध नहीं रखेंगे जो साम्प्रदायिकता का प्रचार करती हो।
शहीद भगत सिंह (Sahid Bhagat Singh) ने जनता को अंधविश्वास तथा धर्म की जकङन से मुक्त करने पर बहुत जोर दिया। उन्होंने धर्म एवं धार्मिक दर्शन की भी आलोचना की तथा नास्तिकता का मार्ग अपनाया।
लाला लाजपतराय की मौत का बदला – Bhagat Singh in Hindi
फरवरी 1928 में साइमन कमीशन भारत आया। जिसका पूरे भारत में विरोध किया गया। क्योंकि इसके सभी सदस्य अंग्रेज थे। इस कमीशन के अध्यक्ष सर जाॅन साइमन थे। भारतीयों ने इसके विरोध में ’साइमन वापस जाओ’ का नारा दिया। साइमन कमीशन के विरोध में 30 अक्टूबर, 1928 को लाला लाजपतराय के ऊपर लाढ़ीयाँ बरसाई गई, जिस कारण वे बुरी तरह घायल हो गए और 17 नवंबर 1928 को उनकी मृत्यु हो गई। उन पर हमला करने का आदेश लाहौर के पुलिस अधीक्षक स्काॅट ने सहायक सांडर्स को आदेश दिया, जिनके प्रहारों से लाला लाजपत राय की मौत हो गई।
Bhagat Singh Death Reason
भगत सिंह (Bhagat Singh Story) ने बदला लेने के लिए ब्रिटिश अधिकारी स्काॅट को मारने का संकल्प लिया। लाला लाजपतराय की मौत का बदला लेने के लिये 17 दिसंबर 1928 भगत सिंह, जयगोपाल, चंद्रशेखर एवं राजगुरु ने मिलकर स्काट की जगह गलती से सांडर्स की हत्या कर दी। उनका पीछा हेड कांस्टेबल चानन ने किया, तो चंद्रशेखर ने उसे चेतावनी दी, किंतु वह नहीं मना, अन्त में उसे भी चंद्रशेखर ने गोली से मार दिया।
अब लाहौर मे पुलिस का पहरा सख्त हो गया। उनको लाहौर छोङकर जाना था, इसलिए भगवती चरण वोहरा की पत्नी दुर्गा भाभी के साथ भगत सिंह भेष बदलकर सुखदेव के साथ लाहौर से कलकत्ता चले गये। वहाँ उन्होंने बटुकेश्वर दत्त से बंग्ला भाषा सीखी। भगत सिंह समाजवाद के समर्थक थे तथा साथ ही मार्क्सवाद के सिद्धान्तों से भी प्रभावित थेे।
केन्द्रीय विधानसभा में बम फेंकने की योजना – Freedom Fighter Bhagat Singh
ब्रिटिश सरकार भारतीयों के अधिकारों को कुचलने के लिए लगातार दमनकारी नीतियों का इस्तेमाल कर रही थी। अंग्रेज पूँजीपति भारतीय मजदूरों का शोषण कर रहे थे। उस समय अंग्रेज ही सर्वेसर्वा थे तथा भारतीय उद्योगपति बहुत कम उन्नति कर पा रहे थे। अंग्रेजों द्वारा मजदूरों पर किये जा रहे अत्याचार का भगत सिंह ने विरोध किया था। 1929 में ब्रिटिश सरकार ऐसी ही एक दमनकारी नीति पारित कराना चाहती थी। 8 अप्रैल 1929 को ब्रिटिश सरकार ने दिल्ली की केन्द्रीय विधानसभा में पब्लिक सेफ्टी बिल एवं ट्रेड डिस्प्यूट बिल पारित करना चाहती थी। पब्लिक सेफ्टी बिल बनने का उद्देश्य – ब्रिटिश सरकार भारत में साम्यवाद के प्रसार को रोकना। उस समय ज्यादा से ज्यादा जगह पर मजदूर हङताल पर जा रहे थे एवं अपनी मांगों के लिए खङे हो रहे थे, इसलिए ट्रैड डिस्प्यूट बिल पारित किया जाना था ताकि कोई भी मजदूर लम्बी हङताल पर नहीं जा सके।
Bhagat Singh History in Hindi
मजदूर विरोधी इन बिलों के प्रति क्रांतिकारियों में आक्रोश था, इसलिए उन्होंने 8 अप्रैल 1929 को ही बम फेंकने की योजना बनाई थी। इस बम कांड का उद्देश्य किसी को नुकसान पहुंचाना नहीं था। भगत सिंह ने कहना था कि ’बहरे कानों को सुनाने के लिए धमाके की जरूरत होती है।’’ उनको यह दिखाना था कि उनके दमन कार्यों को अब जनता और सहन नहीं करेगी। अंग्रेजों को जनता की समस्याओं पर ध्यान दिलाना था। इस बिल के पास करने के विरोध में भगत सिंह ने 8 अप्रैल 1929 को दिल्ली की केन्द्रीय असेम्बली में बटुकेश्वर दत्त के साथ बम फेंका। भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त भागे नहीं बल्कि खुद को गिरफ्तार कराया तथा केन्द्रीय असेंबली में ’इंकलाब जिन्दाबाद’ व ’साम्राज्यवाद-मुर्दाबाद’ का नारा लगाया।
भगत सिंह के जेल के दिन – About Bhagat Singh in Hindi
भगत सिंह (Bhagat Singh Information in Hindi) जेल में 2 साल तक रहे। जेल में रहते हुए भी उनका अध्ययन लगातार जारी रहा। जब भगत सिंह जेल में थे तब उन्होंने लेख लेखकर अपने क्रान्तिकारी विचार व्यक्त किये थे। उन्होंने लिखा कि ’’मजदूरों का शोषण करने वाला, चाहें एक भारतीय ही क्यों न हो, वह उनका शत्रु है। ” जेल में उन्होंने अंग्रेजी में ’मैं नास्तिक क्यों हूँ’ शीर्षक से एक लेख लिखा।
भगत सिंह (Bhagat Singh Hindi) को किताबें पढ़ने में बहुत रुचि थी। कहते है कि भगत सिंह किताबों को ऐसे पढ़ते थे जैसे जिंदगी की अंतिम इच्छा उनकी यही रही हो। जेल में भगत सिंह व उनके साथियों ने भूख हङताल की। उनके एक साथी जतिन दास ने 64 दिनों तक भूख हङताल में अपने प्राण त्याग दिये थे। वो शायद छूट जाते अगर उनके खिलाफ साथी जयगोपाल एवं हंसराज बोहरा सरकारी गवाह ना बनते तो।
भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव को फांसी – Bhagat Singh Rajguru Sukhdev Death Date
भगत सिंह को 26 अगस्त, 1930 को अदालत ने ’भारतीय दंड संहिता की धारा 129, 302 और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की धारा 4 और 6 एफ तथा आईपीसी की धारा 120 के अंतर्गत अपराधी सिद्ध किया। 7 अक्टूबर 1930 को अदालत ने 68 पृष्ठों का निर्णय दिया, जिसमें भगत सिंह (Bhagat Singh Death Reason), राजगुरु और सुखदेव को फांसी की सजा सुनाई गई। यह फांसी 24 मार्च 1931 को होनी थी। फांसी की सजा सुनाने के बाद ब्रिटिश सरकार ने लाहौर में धारा 144 लगा दी। भगत सिंह की फाँसी की सजा को माफ करने के लिए प्रिवी काउंसिल में अपील दायर की गई थी, परन्तु यह अपील 10 जनवरी, 1931 को रद्द कर दी गई थी।
फिर मदन मोहन मालवीय ने 14 फरवरी, 1931 को प्रिवी काउंसिल में अपील दायर की थी, कि भगत सिंह की फांसी को मानवतावाद के नाम पर माफ कर दिया जाए। लेकिन यह अपील खारिज हो जाती है। इसके बाद महात्मा गांधी ने भी इन क्रांतिकारियों की सजा को माफ करने के लिए 17 फरवरी 1931 को वायसराय को पत्र लिखा था, लेकिन वायसराय ने इस पत्र पर अपनी सहमति नहीं दी थी।
जब भगत सिंह को यह पता चला कि लोग हमारी फांसी की सजा को माफ करवाने के लिए प्रयास कर रहे है तो वे बहुत दुखी हुए। क्योंकि ये खुद नहीं चाहते थे कि हमारी फांसी की सजा को माफ किया जाए। भगत सिंह का कहना था कि ”मेरा जीना मेरे मरने से बेहतर है क्योंकि मैं मरकर ही अपनी विचारधारा को अंजाम दे पाऊँगा।’’
When Did Bhagat Singh Died
ब्रिटिश सरकार ने जनता के विरोध को देखते हुए 24 मार्च जो फांसी का दिन था उसे 12 घंटे पहले बढ़ाकर 23 मार्च का दिन कर दिया। इसका पता भगत सिंह को नहीं था। 22 मार्च की रात को सारी कैदी मैदान में बैठे हुए थे। तभी वाॅर्डेन चरतसिंह आये और उन्होंने कैदियों से कहा कि अपनी-अपनी कोठरियों में चले जायें। कैदी संशकित हो गये उन्हें लगा कि कुछ-न-कुछ जरूर होने वाला है। भगत सिंह भी वहाँ से खङे होकर अपनी कोठरी नंबर 14 में आ जाते है। अभी कैदी सोच रहे थे आखिरी बात क्या है ? तभी जेल के नाई बरकत के ये शब्द कैदियों के कानों में पङे कि ’’आज रात भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी जाने वाली है।’’ तब कैदियों ने बरकत से सिफारिश कि वो फांसी के बाद भगत सिंह (Bhagath Singh) की कोई भी चीज उन्हें लाकर दें ताकि वो अपने अगली पीढ़ी को यह बता सकें कि वह कभी भगत सिंह के साथ जेल में बंद थे।
भगत सिंह (About Bhagat Singh) के सामान को वहाँ कैदी भगत सिंह के सामान को इस तरह पाना चाहते थे कि जैसे तिरंगे को लहराना है। जिस तरह तिरंगे का सामान हम करते है उसी तरह वहाँ के कैदी भगत सिंह (History of Bhagat Singh) के सामानों का सम्मान करना चाहते थे उन्हें पाना चाहते थे। भगत सिंह की फांसी के दो घण्टे पहले उनके वकील प्राणनाथ मेहता उनसे मिलने आए, तब भगत सिंह के चेहरे पर एक मुस्कान झलक रही थी। उनकी मुस्कान को देखकर प्राणनाथ मेहता ने बाद में अपनी किताब में लिखा कि ”भगत सिंह अपनी छोटी सी कोठरी में पिंजङे में बंद शेर की तरह चक्कर लगा रहे थे।’’ तब मेहता ने भगत सिंह को देश को अपना संदेश देने को कहा, तब भगत सिंह ने दो संदेश दिए – ’साम्राज्यवाद मुर्दाबाद और इंक़लाब ज़िन्दाबाद’’। राजगुरु के अतिम शब्द ”हम लोग जल्द मिलेंगे।’’
प्राणनाथ मेहता के जाने के बाद जेल अधिकारियों ने भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव (Bhagat Singh Rajguru Sukhdev) को बताया कि उनको वक्त से 12 घंटे पहले ही फांसी दी जा रही है। 24 मार्च को सुबह 6 बजे बजाये उन्हें 23 मार्च की शाम सात बजे (Bhagat Singh Fasi Date) को फांसी दे दी जायेगी। कहते है कि जब भगत सिंह (Bhagat) से उनकी आखिरी इच्छा पूछी गई तो उन्होंने कहा कि वह लेनिन की जीवनी पढ़ रहे थे और उन्हें वह पूरी करने का समय दिया जाए। लेकिन जेल के अधिकारियों ने चले को कहा तो उन्होंने किताब को हवा में उछाला और कहा – ’’ठीक है अब चलो।’’
Bhagat Singh Death Story in Hindi
फिर शहीद भगत सिंह (Shahid Bhagat Singh) अपने सहयोगी राजगुरु और सुखदेव से मिले तथा तीनों क्रांतिकारी ने हाथ पकङकर आजादी का गीत गाया –
”मेरा रँग दे बसन्ती चोला, मेरा रँग दे।
मेरा रँग दे बसन्ती चोला। माय रँग इे बसन्ती चोला।।’’
साथ ही ’इंक़लाब ज़िन्दाबाद’ और ’हिंदुस्तान आजाद हो’ का नारा दिया।
इनके नारे सुनकर जेल के कैदियों ने भी इंक़लाब ज़िन्दाबाद (Inquilab Zindabad ) का नारा लगाना शुरू कर दिया। कहते है कि फांसी का तख्ता पुराना था लेकिन फांसी देने वाला काफी तंदुरुस्त था। फांसी देने के लिए लाहौर के पास शाहदरा से मसीद जल्लाद को बुलाया गया था। भगतसिंह (Bhagatsingh) बीच में खङे थे और अगल-बगल में राजगुरु और सुखदेव खङे थे। जब मसीद जल्लाद ने पूछा कि, ’सबसे पहले कौन जाएगा?’
तब सुखदेव ने सबसे पहले फांसी पर लटकाने की सहमति दी। कहते है कि जब चरत सिंह ने सरदार भगत सिंह (Sardar Bhagat Singh) को कहा कि वाहेगुरु को याद कर लो। तब भगत सिंह ने कहा कि, ’’पूरी जिंदगी में मैंने ईश्वर को कभी याद नहीं किया, मैंने जब-जब ईश्वर को याद है उन्हें कोसा है, अपने देश के गरीबों के लिए उन्हें उत्तरदायी माना है। जिस ईश्वर को हमने जिंदगीभर कोसा है, आज अगर इस मौके पर हम ईश्वर को याद करेंगे, तो ईश्वर में हमें स्वार्थी मानेगा।’’
फिर लेफ्टिनेंट कर्नल जेजे नेल्सन ने तीनों क्रांतिकारियों को फांसी देने का आदेश दिया।
भगत सिंह को फांसी की सजा कब सुनाई गई – Bhagat Singh Ko Fansi Ki Saja Kab Sunai Gayi Thi
भगत सिंह (Bhagat Singh Death) तथा उनके दो साथियों राजगुरु, सुखदेव को 7 बजकर 33 मिनट पर 23 मार्च 1931 को शाम में करीब लाहौर सेंट्रल जेल में फांसी दे दी गई।
मसीद जल्लाद ने एक-एक कर रस्सी खींची और उनके पैरों के नीचे लगे तख्तों को पैर मारकर हटा दिया। लगभग 1 घंटे तक उनके शव तख्तों से लटकते रहे। उसके बाद उन्हें नीचे उतारा गया और वहाँ मौजूद लेफ्टिनेंट कर्नल जेजे नेल्सन और लेफ्टिनेंट एनएस सोधी ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव का अंतिम संस्कार – Bhagat Singh History
कहते है जब जेल अधिकारी को मृतकों का अंतिम संस्कार करने को कहा गया तो उसने ऐसा करने से इनकार कर दिया और उस जगह को बर्खास्त कर दिया। पहले ब्रिटिश सरकार की योजना थी इन सबका अंतिम संस्कार जेल के अंदर ही होगा लेकिन बाद में ये विचार त्यागना पङा था। क्योंकि जेल अधिकारियों को यह डर था कि अगर जेल से धुआँ उठते देख बाहर खङी जनता जेल पर हमला कर सकती है। इसी कारण जेल की पिछली दीवार तोङी गई, उसी रास्ते से एक ट्रक जेल के अंदर लाया गया और उस पर बहुत अपमानजनक तरीके से उन शवों को फेंका गया।
पहले ब्रिटिश सरकार ने तय किया कि भगत सिंह राजगुरु सुखदेव (Bhagat Singh Rajguru Sukhdev history in hindi) का अंतिम संस्कार रावी नदी के तट पर किया जाएगा, लेकिन उस समय रावी में पानी नहीं था। इसलिए उनके शवों को फिरोजपुर के पास सतलज नदी के किनारे लाया गया। उनके शवों को आग लगाई गई। इसके बारे में जब आस-पास के गाँव के लोगों को पता चल गया, तब ब्रिटिश सैनिक शवों को वहीं छोङकर भाग गये। कहा जाता है कि सारी रात गाँव के लोगों ने उन शवों के चारों ओर पहरा दिया था।
अगले दिन लोगों तक खबर पहुँचते ही लोगों ने तीनों क्रांतिकारियों के सम्मान में तीन मील लंबा शोक जुलूस निकाला था। लोगों ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ कङा विरोध किया।
शहीद भगत सिंह (Shaheed Bhagat Singh) भारत के एक महान् स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर दिया। भारत में प्रत्येक वर्ष 23 मार्च को शहीद दिवस (Bhagat Singh Shaheed Diwas) मनाकर भगत सिंह, राजगुरु और सुखेदव के असीम योगदान को याद किया जाता है। 21 जून को पूरे देश में भगत सिंह दिवस मनाया जाता है।
भगत सिंह की पुस्तक – Bhagat Singh Books
Books Written by Bhagat Singh |
मैं नास्तिक क्यों हूँ – Why I Am an Atheist |
युवा राजनीतिक कार्यकर्ताओं के लिए – To Young Political Workers |
भगत सिंह की चुनिंदा कृतियां – The Selected Works of Bhagat Singh |
जेल नोटबुक और अन्य लेखन – The Jail Notebook and Other Writings |
जेल डायरी और अन्य लेखन – Jail Diary and Other Writings |
ड्रीमलैंड का परिचय – Introduction to Dreamland |
मेरे पिता को पत्र – Letter to my Father |
कोई फांसी नहीं, कृपया हमें गोली मारो – No Hanging, Please Shoot Us |
भगत सिंह के अनमोल वचन – Bhagat Singh Quote
”वे मुझे मार सकते हैं, लेकिन मेरे विचारों को नहीं मार सकते।’’ वे मेरे शरीर को कुचल सकते हैं, मेरी आत्मा को नहीं।’’ – भगत सिंह
”जिंदगी तो सिर्फ अपने कंधों पर जी जाती है, दूसरों के कंधों पर तो सिर्फ जनाजे उठाए जाते हैं।’’
”मेरा धर्म सिर्फ देश की सेवा करना है मेरा जीवन एक महान लक्ष्य के प्रति समर्पित है देश की आजादी।’’
”बम और पिस्तौल से क्रांति नहीं आती, क्रांति की तलवार विचारों की शान पर तेज होती है।’’
”राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है मैं एक ऐसा पागल हूँ जो जेल में भी आजाद है।’’
”इस कदर वाकिफ है मेरी कलम मेरे जज्बातों से, अगर मैं इश्क लिखना भी चाहूँ तो इंकलाब लिख जाता हूँ।’’
भगत सिंह के महत्त्वपूर्ण प्रश्न – Bhagat Singh Questions
1. भगत सिंह का जन्म कब हुआ था ?
▶️ 28 सितंबर 1907
2. भगत सिंह का जन्म कहां पर हुआ था ?
▶️ पंजाब के लायलपुर जिले के बंगा गाँव में
3. भगत सिंह की माता का नाम क्या था ?
▶️ विद्यावती कौर
4. भगत सिंह के पिता कौन थे ?
▶️ सरदार किशन सिंह
5. भगत सिंह किसे अपना गुरु मानते थे ?
▶️ करतार सिंह
6. भगत सिंह का उनकी दादी जयकौर क्या नाम रखा था ?
▶️ भगत सिंह की दादी जयकौर ने इनका नाम भागां वाला अर्थात् भाग्यवान कहकर पुकारा था।
7. नौजवान भारत सभा कब और किसने बनाई थी ?
▶️ भगत सिंह ने मार्च 1926 को
8. भगत सिंह ने चन्द्रशेखर आजाद के साथ मिलकर ’हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन’ (HSRA) की स्थापना कब और कहां पर की ?
▶️ अक्टूबर 1928 को दिल्ली के फिरोज शाह कोटला मैदान में
9. हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन में भगत सिंह को किस विभाग का दायित्व सौंपा गया था ?
▶️ प्रचार विभाग का
10. जाॅन सांडर्स की हत्या कब की गई ?
▶️ 17 दिसम्बर 1928
11. दिल्ली केंद्रीय विधानमंडल बम कांड में भगत सिंह का साथ किसने दिया था ?
▶️ बटुकेश्वर दत्त ने
12. भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने केंद्रीय असेंबली में बम कब फेंका ?
▶️ 8 अप्रैल 1929
13. 8 अप्रैल, 1929 के दिन भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने किन बिलों के विरोध में असेंबली में बम फेंका ?
▶️ पब्लिक सेफ्टी बिल और ट्रेड डिस्प्यूट्स बिल
14. इंक़लाब ज़िन्दाबाद का नारा किसने दिया ?
▶️ भगत सिंह
15. भगत सिंह के पिता किशन सिंह व चाचा अजीत सिंह किस पार्टी से जुङे हुए थे ?
▶️ गदर पार्टी से
16. भगत सिंह को लाहौर से बचकर निकालने में किन्होंने सहायता की ?
▶️ दुर्गा भाभी
17. भारत में हुए किस हत्याकांड का गहरा असर भगत सिंह जी के ऊपर पङा था ?
▶️ जलियांवाला बाग हत्याकांड (13 अप्रैल 1919)
18. भगत सिंह के द्वारा लिखी गई प्रसिद्ध पुस्तक का नाम क्या है ?
▶️ मैं नास्तिक क्यों हूँ ?
19. भगत सिंह जी को किस केस के मामले में फाँसी दी गई ?
▶️ लाहौर षड्यंत्र केस
20. साइमन कमीशन के विरोध प्रदर्शन में हुई लाठीचार्ज में कौनसा नेता मारा गया ?
▶️ लाला लाजपत राय
21. लाला लाजपतराय की मौत का बदला लेने के लिए जाॅन सान्डर्स की हत्या कब की गई ?
▶️ 17 दिसम्बर 1928
22. भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव को कब फांसी हुई ?
▶️ 23 मार्च 1931 को शाम 7 बजे
23. भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को पहले फांसी देने के लिए कौनसा दिन निश्चित किया गया था ?
▶️ 24 मार्च 1931 को सुबह 6 बजे
24. भगत सिंह फांसी के वक्त किसकी जीवनी पढ़ रहे थे ?
▶️ लेनिन की जीवनी
25. भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी देने के लिए किस बुलाया गया था ?
▶️ इन तीनों क्रांतिकारियों को फांसी देने के लिए लाहौर के पास शाहदरा से मसीद जल्लाद को बुलाया गया था।
26. ब्रिटिश सरकार ने राजगुरु, भगत सिंह और सुखदेव का अंतिम संस्कार कहाँ किया ?
▶️ फिरोजपुर के पास सतलज नदी के किनारे
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