आज के आर्टिकल में हम इतिहास के महत्त्वपूर्ण टाॅपिक अभिलेख (Abhilekh) के बारे में बात करने वाले है। इसके अन्तर्गत अभिलेख किसे कहते है (Abhilekh Kise Kahate Hain), अभिलेख का अर्थ (Abhilekh Ka Arth) अभिलेखों की भाषा (Abhilekh Ki Bhasha), अभिलेखों के प्रकार (Abhilekh Ke Prakar) और प्रमुख अभिलेखों के बारे में पढ़ेंगे।
अभिलेख क्या है – Abhilekh Kya Hai
- राजाओं तथा अन्य महत्त्वपूर्ण लोगों के द्वारा अपने आदेशों को पत्थर व धातु जैसी कठोर सतह पर खुदवाये जाने वाले लेख अभिलेख होते है।
- अभिलेख पत्थर, धातु या मिट्टी के बर्तन जैसी कठोर सतह पर राजाओं तथा अन्य महत्त्वपूर्ण लोगों के आदेश और उपलब्धियां खुदी हुई होती है। राजाओं ने अभिलेखों द्वारा अपने आदेशों को उत्कीर्ण करवाया था। अभिलेख पत्थर, धातु या मिट्टी के बर्तन पर खुदे हुए एक तरह का स्थाई प्रमाण होता है।
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- प्राचीन समय में कागज नहीं होता था, इसलिए राजा पत्थर व धातु पर अभिलेख लिखवाकर अपने इतिहास को स्थायीत्व प्रदान करते थे। ताकि आगे भी इन्हें देखा व पढ़ा जा सके।
- अभिलेखों से ही हमें प्राचीन भारतीय इतिहास की जानकारी प्राप्त होती है तथा उस समय के राजाओं की तिथि व कार्यों का वर्णन मिलता है। अभिलेखों से तत्कालीन राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक तथा सामाजिक जीवन की जानकारी मिलती है।
- अभिलेखों में राजाओं और महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों के क्रियाकलाप, उनकी उपलब्धियाँ व विजय, राज-प्रशासन, धर्म आदि की जानकारी मिलती है। पुरातात्विक स्रोतों में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण अभिलेख है। ये अभिलेख पाषाण स्तंभों, ताम्रपत्रों, दीवारों, मुद्राओं एवं प्रतिमाओं पर खुदे हुए मिले हैं।
अभिलेख किसे कहते है – Abhilekh Kise Kahate Hain
किसी भी कठोर सतह पर जैसे पत्थर या धातु पर उत्कीर्ण लेख को अभिलेख (Abhilekh) कहते है। अभिलेखों का अध्ययन ‘Epigraphy’ (एपिग्राफी) कहलाता है।
अभिलेखों को लिखने के लिए उपयोगी सामग्री –
अभिलेखों में पत्थर, धातु, मिट्टी की तख्ती, ईंट, काष्ठ आदि का उपयोग किया जाता है। अभिलेखों पर अक्षरों की खुदाई के लिए छेनी, नुकीली किले, हथौङा, लौहशलाका जैसी नुकीली वस्तु का उपयोग किया जता था।
भारत के अभिलेखों का वर्गीकरण – Bharat Ke Abhilekh Ka Vargikaran
- मौर्यपूर्व
- मौर्य
- शुंग
- भारत-बाख्न्ती
- शक
- कुषाण
- आंध्र-शातवाहन
- गुप्त
- मध्यकालीन
- आधुनिक।
अभिलेखों की भाषा – Abhilekh Ki Bhasha
भारत में सबसे प्राचीन लिखित अभिलेख मौर्य सम्राट अशोक के हैं। अशोक के अभिलेख प्राकृत भाषा में लिखे गए हैं तथा इनकी लिपि ब्राह्मी व खरोष्ठी है। अशोक के अधिकतर शिलालेख ब्राह्मी लिपि में है। ब्राह्मी लिपि बाएं से दाएं ओर लिखी जाती थी। पूर्वी भारत में अभिलेख ’ ब्राह्मी लिपि’ में लिखे गए हैं।
उत्तर-पश्चिम भारत में मिले कुछ अभिलेख खरोष्ठी लिपि में है। ’खरोष्ठी लिपि’ में दाएं से बाएं की ओर लिखी जाती है। पाकिस्तान, अफगानिस्तान एवं यूनान में अभिलेखों में ’आरमाइक लिपि’ का प्रयोग होता था।
अभिलेखों की प्राप्ति –
- विश्व का सबसे प्राचीन अभिलेख सुमेरिया का अक्काट वंशीय शासक द्वारा खुदवाया गया अभिलेख है। इसका काल 2370 ई.पू. का है।
- सबसे प्राचीन अभिलेखों में मध्य एशिया के बोगजकोई से प्राप्त अभिलेख है। इसमें वैदिक देवता मित्र, वरुण, इंद्र और नासत्य आदि के नाम मिलते हैं। ये लगभग 1400 ई. पू. के हैं तथा इनसे ऋग्वेद की तिथि ज्ञात करने में सहायता मिलती है।
- भारत में प्राप्त सबसे प्राचीन अभिलेख हङप्पा संस्कृति की मुहरों पर अंकित है। ये लगभग 2500 ई.पू. के हैं परंतु इनका पढ़ना (अपठित) अभी संभव नहीं हुआ है।
- भारत में सर्वप्रथम अशोक ने पठित अभिलेख लिखवाये थे। अशोक को अभिलेख लिखने की प्रेरणा ईरानी राजा डोरीयस-1 से मिली थी। अशोक के अभी तक 40 अभिलेख प्राप्त हुए है। प्राचीन भारत में अभिलेख की शुरुआत अशोक ने की थी
अभिलेखों के प्रकार – Abhilekh Ke Prakar
खुदवाने के आधार पर अभिलेखों के प्रकार –
1. निजी अभिलेख
2. सरकारी अभिलेख
1. निजी अभिलेख – ऐसे अभिलेख जिन्हें व्यक्तिगत स्तर पर खुदवाया गया है। सबसे प्राचीन निजी अभिलेख बेसनगर (विदिशा) का है। यह अभिलेख एंटीयालकिट्स के राजदूत हेलियोडोरस द्वारा खुदवाया गया है जो राजा भागभद्र के दरबार में आया था। यह वैष्णव धर्म का सबसे प्राचीन अभिलेख भी है।
2. सरकारी अभिलेख – ऐसे अभिलेख जो शासक द्वारा जनसामान्य को सूचना देने के लिए स्थापित किए जाते थे। ऐसे अभिलेख पवित्र-स्थानों, चैराहों अथवा अन्य भीङ-भाङ वाले स्थानों पर लगाए जाते थे।
स्वरूप के आधार पर अभिलेखों के प्रकार –
- शिलालेख
- स्तम्भलेख
- गुहालेख
शिलालेख का अर्थ – Shilalekh Ka Arth
शिलालेख किसे कहते है – Shilalekh Kise Kahate Hain
शिलालेख – शिलालेख का अर्थ होता है पत्थर पर लिखा हुआ। किसी चट्टान या पत्थर पर खोदी गई लिखित रचना को शिलालेख कहते हैं। शीला का अर्थ होता है पत्थर या चट्टान और लेख का अर्थ होता है लिखावट। यह दोनों शब्द जोङकर शिलालेख बनता है।
दूसरे शब्दों में गुफाओं की दीवारों पर या पत्थरों पर जब खुदाई कर लिखा जाता है तो इसे शिलालेख कहते हैं। अशोक के द्वारा कुल 14 शिलालेख बनाए गए। अशोक को इसके लिए प्रेरणा ईरानी शासक डोरीयस-1 से मिली थी।
गुहालेख किसे कहते है – Guhalekh Kise Kahate Hain
गुहालेख – गुफा के मुख्य द्वार के अगले हिस्से को सपाट करवाकर अभिलेख लिखे गए इन्हें गुहालेख कहते हैं।
इन गुफाओं का निर्माण आजीवक संतों के निवास के लिए अशोक व उसके पोते दशरथ के द्वारा कराया गया। गुहालेख की संख्या 7 है। अशोक के द्वारा 3 गुहालेख बनाये गये। अशोक के पोते दशरथ के द्वारा 4 गुहालेख बनाए गए।
स्तम्भलेख किसे कहते है – Stambh Lekh Kise Kahate Hain
स्तम्भलेख – सपाट स्तम्भ के ऊपर गोलाकार चौकी होती है और इस चौकी के नीचे अधोममुखी कमल होता है ऊपर वाले हिस्से पर किसी पशु मूर्ति का अंकन मिलता है।
सपाट हिस्से पर कुछ लाइनें उत्कीर्ण करा दी गई जिन्हें स्तम्भलेख कहते हैं। ये स्तम्भ चीनार (उत्तरप्रदेश) के पीले पत्थरों से निर्मित है।
प्रमुख अभिलेख – Pramukh Abhilekh
प्रमुख अभिलेख और उनसे संबंधित शासक –
अभिलेख | शासक |
हाथीगुम्फा अभिलेख | कलिंग राजा खारवेल |
जूनागढ़ (गिरिनार) अभिलेख | शक क्षत्रप रुद्रदामन |
नासिक गुहालेख | सातवाहन नरेश पुलुमावी |
प्रयाग स्तंभ लेख | गुप्त सम्राट समुद्रगुप्त |
मंदसौर अभिलेख | मालव नरेश यशोवर्धन |
एहोल अभिलेख | चालुक्य नरेश पुलकेशिन द्वितीय |
देवपाङा अभिलेख | विजयसेन |
ग्वालियर अभिलेख | मिहिर भोज |
भीतरी स्तम्भ लेख | स्कंदगुप्त |
एरण अभिलेख | भानुगुप्त |
गुर्जरा, मस्की अभिलेख | अशोक |
महास्थान अभिलेख | चन्द्रगुप्त मौर्य |
मथुरा, उदयगिरि, मेहरौली प्रशस्ति | चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य |
अयोध्या अभिलेख | पुष्यमित्र शुंग |
अभिलेखों का महत्त्व – Abhilekh Ka Mahatva
- अभिलेखों के द्वारा तत्कालीन भारत की राजनैतिक, सामाजिक, धार्मिक एवं आर्थिक स्थितियों के बारे में जानकारी मिलती है।
- अभिलेखों से तत्कालीन राजाओं के चरित्र, व्यक्तित्व व उनकी व्यक्तिगत रुचियों पर प्रकाश पङता है।
- इन अभिलेखों से तात्कालीन राज्यों की सीमा निर्धारण में मदद मिलती है।
- इन अभिलेखों से राजवंशावली की जानकारी भी प्राप्त होती है। जिससे इतिहास का कालक्रम निर्धारण में सहायता प्राप्त होती है।
- राज्य शासन व्यवस्था की जानकारी, पदों व कर की जानकारी मिलती है।
- अभिलेखों से मूर्तिकला और वास्तुकला के विकास पर विस्तृत प्रकाश पङता है, और तत्कालीन धार्मिक स्थिति की जानकारी मिलती है।
- अभिलेखों से भाषाओं के ज्ञान पर भी प्रकाश पङता है, उदाहरण के लिए गुप्तकाल से पहले के अधिकतर अभिलेख प्राकृत भाषा में मिलते है। गुप्त और गुप्तोत्तर काल के अधिकतर अभिलेख संस्कृत भाषा में है।
- दक्षिण भारत के पल्लव, चालुक्य, राष्ट्रकूट, पांड्य और चोल वंशों का इतिहास लेखन में इन शासकों के अभिलेख बहुत उपयोगी सिद्ध हुए। भारतीय समाज का विदेशों से सम्बन्ध के बारे में पता चलता है।
अभिलेखों के महत्त्वपूर्ण प्रश्न – Abhilekh Ke Prashn
प्र. 1 अभिलेखों का अध्ययन क्या कहलाता है ?
(अ) Epgrphy
(ब) Epigraphy✔️
(स) Archives
(द) Inscription
प्र. 2 अभिलेखों को लिखने के लिए किसका प्रयोग नहीं किया जाता था ?
(अ) पत्थर
(ब) धातु
(स) कागज✔️
(द) काष्ठ
प्र. 3 भारत में सबसे प्राचीन लिखित अभिलेख किसके हैं?
(अ) समुद्रगुप्त
(ब) चन्द्रगुप्त मौर्य
(स) अशोक✔️
(द) रुद्रदामन
प्र. 4 इनमें से कौनसी लिपि अशोक के शिलालेखों में प्रयुक्त नहीं हुई है ?
(अ) खरोष्ठी लिपि
(ब) नागरी लिपि✔️
(स) ब्राह्मी लिपि
(द) आरमाइक लिपि
प्र. 5 ’मेहरौली प्रशस्ति’ किसके द्वारा रचित है ?
(अ) चन्द्रगुप्त प्रथम
(ब) समुद्रगुप्त
(स) चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य✔️
(द) स्कन्दगुप्त
प्र. 6 सबसे प्राचीन अभिलेख कहाँ से मिले ?
(अ) मध्य एशिया के बोगजकोई से✔️
(ब) मिस्र से
(स) यूनान से
(द) इटली से
प्र. 7 प्राचीन भारत में अभिलेख की शुरुआत किस शासक ने की थी ?
(अ) पुष्यमित्र शुंग
(ब) समुद्रगुप्त
(स) अशोक✔️
(द) रुद्रदामन
Abhilekh Ke Objective Question
प्र. 8 अशोक अब तक कितने अभिलेख प्राप्त हुए है ?
(अ) 20
(ब) 30
(स) 40✔️
(द) 50
प्र. 9 ’हाथीगुम्फा अभिलेख’ किसका है ?
(अ) खारवेल का✔️
(ब) पुष्यमित्र शुंग का
(स) देवसेन का
(द) रुद्रदामन का
प्र. 10 ’प्रयाग प्रशस्ति’ किसके द्वारा रचित है ?
(अ) चन्द्रगुप्त मौर्य
(ब) समुद्रगुप्त✔️
(स) चन्द्रगुप्त द्वितीय
(द) अशोक
प्र.11 बेसनगर का अभिलेख सम्बन्धित है ?
(अ) वैष्णव सम्प्रदाय✔️
(ब) शैव सम्प्रदाय
(स) जैन सम्प्रदाय
(द) बौद्ध सम्प्रदाय
प्र. 12 ’जूनागढ़ अभिलेख’ किसका है ?
(अ) रुद्रदामन का✔️
(ब) पुष्यगुप्त
(स) यशोधर्मन
(द) अशोक
प्र. 13 ’एरण अभिलेख’ किसका है ?
(अ) चन्द्रगुप्त द्वितीय
(ब) भानुगुप्त✔️
(स) खारवेल
(द) देवसेन
प्र. 14 ’गुर्जरा अभिलेख’ किसका है ?
(अ) खारवेल
(ब) अशोक✔️
(स) स्कन्दगुप्त
(द) कुमारगुप्त
प्र. 15 ’एहोल प्रशस्ति’ किसके द्वारा रचित है ?
(अ) पुलकेशिन द्वितीय✔️
(ब) चन्द्रगुप्त मौर्य
(स) विजयसेन
(द) स्कन्दगुप्त
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